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भारत में 10 प्रमुख ऐतिहासिक प्राकृतिक आपदाएं

June 7, 2017


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इस तथ्य के बावजूद भी कि इंसानों ने तकनीकी विकास के मामलों में विभिन्न पहलुओं में काफी प्रगति की है, फिर भी यहाँ एक ऐसा क्षेत्र है जिस पर वे अपना अधिकार नहीं जमा पा रहे हैं और वह है प्रकृति का वर्चस्व। भले ही तकनीकि, वैज्ञानिक प्रगति और उपलब्धियों ने लोगों के लिए बहुत कुछ किया है, लेकिन प्रकृति ने हमेशा अपने आप को मानव जाति से अधिक शक्तिशाली साबित किया है। मौसम भविष्यवाणी की तकनीकि में विकास के बावजूद भी, कई बार प्राकृतिक आपदाओं को रोकने में हम असफल रहे हैं। आज के युग में, बाढ़, सुनामी, अकाल, चक्रवात और भूकंप के रूप में प्राकृतिक आपदाएं मुख्य रूप से ग्लोबल वार्मिंग के कारण उत्तपन्न होती हैं।

समय-समय पर हमने देश में और बाहर होने वाली कई प्राकृतिक आपदाओं को देखा और पढ़ा है, जो समाज में एक बड़ी तबाही का कारण बनी है, जिसके कारण हजारों लोगों की मौतें हुई हैं और ये जीवन और संपत्ति को भी नष्ट करने का कारण बनीं हैं। पिछले कुछ वर्षों में भारत के इतिहास में होने वाली 10 सबसे खतरनाक प्राकृतिक आपदाएं निम्न हैं:

कश्मीर बाढ़

  • वर्ष: 2014
  • प्रभावित क्षेत्र: श्रीनगर, बांदीपुर, राजौरी आदि हैं।
  • मृत्यु दर: 500 से अधिक।

सितंबर 2014 में कश्मीर क्षेत्र में लगातार मूसलधार बारिश के कारण कश्मीर के लोग बड़े पैमाने पर बाढ़ से पीड़ित हुए, जिससे कारण करीब 500 लोगों की मौत हो गईं। सैकड़ों लोग भोजन और पानी के बिना ही अपने घरों में बहुत दिनों तक फंसे रहे। रिपोर्टों के अनुसार जम्मू और कश्मीर में 2600 गाँव बाढ़ से प्रभावित हुए थे। कश्मीर के 390 गाँव पूरी तरह से जलमग्न हो गए थे। बाढ़ ने श्रीनगर के कई हिस्सों को भी जलमग्न कर दिया था। बाढ़ के कारण राज्य भर के लगभग 50 पुल भी क्षतिग्रस्त हो गये थे और 5000 करोड़ से 6000 करोड़ के लगभग धन हानि भी हुई थी।

उत्तराखंड में आकास्मिक बाढ़

  • वर्ष 2013
  • प्रभावित क्षेत्र: गोविंदघाट, केदार धाम, रुद्रप्रयाग, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, पश्चिमी नेपाल।
  • मृत्यु दर: 5000 से अधिक।

वर्ष 2013 में, उत्तराखंड को भारी और घातक बादलों के रूप में एक बड़ी विपत्तिपूर्ण प्राकृतिक आपदा का सामना करना पड़ा, जिससे गंगा नदी में बाढ़ आ गई। अचानक, भारी बारिश उत्तराखंड में खतरनाक भूस्खलन का कारण बनी, जिसने हजारों लोगों को मार दिया और हजारों लोगों की लापता होने की खबर है। मौतों की संख्या 5,700 होने का अनुमान था, 14 से 17 जून, 2013 तक 4 दिनों के लम्बे समय तक बाढ़ और भूस्खलन जारी रहा। जिसके कारण 1,00,000 से अधिक तीर्थयात्री केदारनाथ की घाटियों में फँस गये थे। आज, उत्तराखंड आकास्मिक बाढ़ भारत के इतिहास की सबसे विनाशकारी बाढ़ मानी जाती है।

हिंद महासागर सुनामी

  • वर्ष: 2004
  • प्रभावित क्षेत्र: दक्षिणी भारत के हिस्सों से लेकर अंडमान निकोबार द्वीप समूह, श्रीलंका, इंडोनेशिया आदि।
  • मृत्यु दर: 2 लाख से अधिक

2004 में एक बड़े भूकंप के बाद, हिंद महासागर में एक विशाल सुनामी आई थी, जिससे भारत और पड़ोसी देशों जैसे श्रीलंका और इंडोनेशिया में जीवन और संपत्ति का भारी नुकसान हुआ। भूकंप  महासागर के केंद्र में प्रारम्भ हुआ था, जिसने इस विनाशकारी सुनामी को जन्म दिया। इसकी तीव्रता 9.1 और 9.3 के बीच मापी गयी थी और यह लगभग 10 मिनट के समय तक जारी रहा। एक रिपोर्ट के अनुसार, यह रिकॉर्ड किया गया दुनिया में तीसरा सबसे बड़ा भूकंप था। इसकी विनाशकारी क्षमता  हिरोशिमा मे डाले गए बमों के प्रकार के 23,000 परमाणु बमों की ऊर्जा के बराबर थी। जिसमें 2 लाख से अधिक लोग मारे गए थे।

गुजरात भूकंप

  • वर्ष 2001
  • प्रभावित क्षेत्र: भुज, अहमदाबाद, गांधीनगर, कच्छ, सूरत, जिला सुरेंद्रनगर, जिला राजकोट, जामनगर और जोडिया हैं।
  • मृत्यु दर: 20,000 से अधिक।

26 जनवरी, 2001 की सुबह, जिस दिन भारत अपने 51 वें गणतंत्र दिवस का जश्न मना रहा था, उस सुबह गुजरात भारी भूकंप से प्रभावित हुआ। भूकंप की तीव्रता रियेक्टर पैमाने पर 7.6 से 7.9 की रेंज में थी और यह 2 मिनट तक जारी रहा था। इसका प्रभाव इतना बड़ा था कि लगभग 20,000 लोगों ने अपने जीवन को खो दिया था। अनुमान यह है कि इस प्राकृतिक आपदा में लगभग 167,000 लोग घायल हुए थे और लगभग 400,000 लोग बेघर हो गए थे।

ओडिशा में महाचक्रवात

  • वर्ष 1999
  • प्रभावित क्षेत्र: भद्रक तटीय जिलें, केंद्रपारा, बालासोर, जगतसिंहपुर, पुरी, गंजम आदि।
  • मृत्यु दर: 10,000 से अधिक।

यह 1999 में ओडिशा राज्य को प्रभावित करने वाले सबसे खतरनाक तूफानों में से एक है। इसे पारादीप चक्रवात या सुपर चक्रवात 05बी के रूप में जाना जाता है, यह चक्रवात राज्य के 10,000 से अधिक लोगों की मौत का कारण बना। इसने 275,000 से अधिक घरों को नष्ट कर दिया था और लगभग 1.67 मिलियन लोग बेघर हो गए थे। जब यह चक्रवात 912 एमबी की चरम तीव्रता पर पहुँच गया, तो यह उत्तर भारतीय बेसिन का सबसे मजबूत उष्ण कटिबंधीय चक्रवात बन गया था।

लातूर भूकंप

  • वर्ष: 1993
  • प्रभावित क्षेत्र: उस्मानाबाद और लातूर के जिले।
  • मृत्यु दर: 20,000 से अधिक।

वर्ष 1993 का यह भूकंप सबसे घातक भूकंपों में से एक था, जिसने महाराष्ट्र के लातूर जिले को अधिक प्रभावित किया था। जिसमें लगभग 20,000 लोग मारे गए और लगभग 30,000 से अधिक लोग घायल हो गए थे। भूकंप की तीव्रता को 6.4 रिक्टर पैमाने पर मापा गया था। जिसके कारण संपत्ति का भारी नुकसान हुआ था, हजारों घर मलबे के रुप में बदल गये थे और इस भूकंप ने 50 से अधिक गाँवों को नष्ट कर दिया था।

महान अकाल

  • वर्ष: 1876-1878
  • प्रभावित क्षेत्र: मद्रास, मैसूर, हैदराबाद, और बॉम्बे।
  • मृत्यु दर: 3 करोड़।

1876-78 में देश के दक्षिणी और दक्षिण-पश्चिमी हिस्सों में एक बड़ा अकाल पड़ा था, इस अकाल ने लगभग 3 करोड़ लोगों की जान ले ली थी। यह अकाल चीन में पहली बार शुरू हुआ, बाद में यह भारत में शुरू हुआ और 1876 और 1878 के बीच की अवधि में इसने लाखों लोगों को प्रभावित किया। आज भी यह भारत की अभी तक की सबसे भीषण प्राकृतिक आपदाओं में से एक माना जाता है।

कोरिंगा चक्रवात

  • वर्ष: 1839
  • प्रभावित क्षेत्र: कोरिंगा जिला।
  • मृत्यु दर: 3.2 लाख लोग।

आंध्र प्रदेश के कोरिंगा शहर के बंदरगाह में कोरिंगा चक्रवात  से भारत अत्यधिक प्रभावित हुआ था। इसमें लगभग 3.2 लाख लोग मारे गए और इस विशाल चक्रवात ने 25000 से अधिक जहाजों को बर्बाद कर दिया था। यह भारत के इतिहास में सबसे खराब प्राकृतिक आपदाओं में से एक था, आंध्र प्रदेश के गोदावरी जिले के छोटे से शहर कोरिंगा में इस चक्रवात ने तबाही मचा दी थी। जिसने पूरे शहर को नष्ट कर दिया था। यह वास्तव में सबसे बड़ी आपदाओं में से एक था जिसने भारत को हिलाकर रख दिया था।

कलकत्ता चक्रवात

  • वर्ष: 1737
  • प्रभावित क्षेत्र: कलकत्ता के निचले इलाके।
  • मृत्यु दर: 3 लाख से अधिक।

हुगली नदी चक्रवात भारत की सबसे खतरनाक प्राकृतिक आपदाओं में से एक था, जिसने 1737 में कलकत्ता को प्रभावित किया था। बहुत से लोग मारे गए, बड़ी संख्या में जहाजों और लगभग 20,000, बंदरगाहों पर डॉक क्षतिग्रस्त हो गए थे। इसके अलावा इसे कलकत्ता चक्रवात के रूप में भी जाना जाता है, क्योंकि कलकत्ता क्षेत्र के निचले इलाके चक्रवात के कारण बुरी तरह प्रभावित हुए थे। इस चक्रवात ने क्षेत्र के 3,00,000 से 3,50,000 लोगों को मार डाला था और इसलिए उस समय की यह सबसे भयंकर आपदा मानी जाती है।

बंगाल अकाल

  • वर्ष 1970, 1773
  • प्रभावित क्षेत्र: बंगाल, ओडिशा, बिहार।
  • मृत्यु दर: 1 करोड़।

इस अकाल ने एक बड़े पैमाने पर बंगाल के आजादी पूर्व राज्य ओडिशा और बिहार के कुछ हिस्सों को अत्यधिक प्रभावित किया था। यह अकाल 1770 से 1773 तक लगभग 3 वर्षों तक लगातार जारी रहा। भारत को अब तक प्रभावित करने वाली सबसे बड़ी प्राकृतिक आपदाओं में से एक इस अकाल में भूख, प्यास और बीमारी के कारण लगभग 1 करोड़ लोगों की मौत हो गई, जिससे बंगाल में 30 लाख आबादी कम हो गई थी ।

पूर्व विभाजन वाले ब्रिटिश भारत का बंगाल प्रांत 1943 में एक और अकाल से प्रभावित हुआ था जिसमें लगभग 4 मिलियन लोग भूख, कुपोषण और बीमारी के कारण मर गए थे। क्षेत्र की जनसंख्या के आधे से अधिक लोगों की मृत्यु अकाल के बाद के प्रभाव से उत्पन्न रोगों के कारण हुई थी।