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भारत – चीन तनाव के शीर्ष पाँच मुद्दे

July 11, 2017


india-china-dispute-hindiभारत और चीन के बीच तनाव के प्रमुख कारणों में से एक अरुणाचल प्रदेश के पास की सीमा विवाद है। अक्साई चिन नाम का एक अन्य भूभाग भी इस सीमा विवाद का हिस्सा है। अरुणाचल प्रदेश भारत का और जबकि अक्साई चिन चीन का हिस्सा है। इन दोनों क्षेत्रों की भौगोलिक स्थिति ऐसी है कि दोनों वर्तमान व्यवस्था के पक्ष में काम कर रहे हैं। दोनों देश ने उपर्युक्त क्षेत्रों पर अपना दावा किया है और इनके पास विशाल निजी परमाणु क्षमता है तात्पर्य यह है कि दोनों देश के पास शांतिपूर्ण माहौल बनाए रखना ही एकमात्र विकल्प है। वास्तव में, 1962 में चीन द्वारा भारत पर आक्रमण के पीछे सीमा विवाद को एक प्रमुख कारण माना जाता है।

मसूद अजहर मुद्दा

मसूद अजहर जैश-ए-मोहम्मद के संस्थापक और नेता है। जैश-ए-मोहम्मद एक आतंकवादी समूह है जो पाकिस्तान अधिकृत आजाद कश्मीर में बहुत सक्रिय है। जैश-ए-मोहम्मद समूह संयुक्त राष्ट्र में और साथ ही भारत में एक आतंकवादी इकाई के रूप में सूचीबद्ध किया गया है, इस समूह ने 2008 में मुंबई हमलों और 2016 के पठानकोट हमले को अंजाम दिया था, जिसके बाद पाकिस्तान सरकार ने अजहर को सुरक्षात्मक हिरासत में ले लिया। भारत ने अजहर को संयुक्त राष्ट्र द्वारा ब्लैक लिस्ट करने की कोशिश की है, परन्तु चीन ने इस पर विरोध जताया है। भारत को हमेशा से चीन के रूप में एक अवरोधक का सामना करना पड़ता रहा है।

एनएसजी मुद्दा

चीन ने परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) में भारत के प्रवेश का भी विरोध किया है जबकि इसमें 48 देशों को शामिल किया गया है। चीन ने स्पष्ट रूप से कहा है कि वह भारत जैसे किसी भी देश का एनएसजी जैसे समूह में सदस्यता लेने के खिलाफ है, जिसने परमाणु अप्रसार संधि (एनपीटी) ( इसका उद्देश्य विश्व भर में परमाणु हथियारों के प्रसार को रोकने के साथ-साथ परमाणु परीक्षण पर अंकुश लगाना है।) पर हस्ताक्षर नहीं किया है। बीजिंग ने कहा है कि किसी भी देश को एनएसजी जैसे समूह का सदस्य बनने के लिए एनपीटी (परमाणु अप्रसार संधि) पर हस्ताक्षर करना उनका अनिवार्य दायित्व है। चीन ने दिलचस्प रूप से एनपीटी में गैर-हस्ताक्षरकर्ता होने के बावजूद पाकिस्तान को एनएसजी में आवेदन करने और समूह का सदस्य बनने को कहा है।

दलाई लामा मुद्दा

दलाई लामा मूल रूप से तिब्बत के रहने वाले है, जो वर्तमान समय में चीन का हिस्सा है। जब चीन ने तिब्बत पर कब्जा कर लिया, तो दलाई लामा वहाँ से बचकर निकल आये। भारत में शरण लेने के लिए भारी संख्या में तिब्बतीयों के साथ दलाई लामा भी आये, भारत ने बाकी शरणार्थियों के साथ उनको भी शरण दी। तब से उनका तिब्बती सरकार द्वारा निर्वासन चल रहा है। एक देश के रूप में, चीन अपनी क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता के बारे में अत्यधिक संवेदनशील है और इस प्रकार यह समझा जा सकता है कि तिब्बत में दलाई लामा की सरकार होने के कारण चीन को कितना बड़ा झटका लगा होगा। वास्तव में, बहुत से लोग यह भी कहते हैं कि इस वजह से दोनों देश के बीच पहला युद्ध हुआ।

हिंद महासागर मुद्दा

चीन, हिंद महासागर में एक प्रमुख सेना तैयार करना चाहता है। चीन ने स्ट्रिंग ऑफ पर्ल्स नामक एक रणनीति अपनाई है, जिसके अन्तर्गत इसने पूरे इलाके में बेस (सैन्य अड्डे) स्थापित किये हैं, जहाँ पर भारत और अमेरिकी के नौसैनिक अड्डें भी स्थापित हैं। वास्तव में, इस क्षेत्र में भारत के कई ठिकाने चीन के लोगों से घिरे हुए हैं और भारत को डर है कि यह पूर्वोत्तर पड़ोसियों द्वारा एक प्रमुख रोकथाम की रणनीति है। यही कारण है कि सरकार यह सुनिश्चित करने में काफी शक्ति खर्च कर रही है कि अगर ऐसा हो रहा है, तो इसे रोका जाये। इसके तहत भारत के प्रभाव के भीतर श्रीलंका, मालदीव, म्यांमार और बांग्लादेश को शामिल करने का प्रयास किया जा रहा है।