जिग्स कालरा की मसाला लाइब्रेरीः एक समीक्षा
हम भारत के पहले मशहूर खानपान विशेषज्ञ के रूप में जिग्स कालरा का नाम सुनकर बड़े हुए हैं, उनकी प्रसिद्धता को इस बात से ही जाना जा सकता है की उन्होंने बोहोत से उच्च होटल्स के रसोइयों के भोजन को देखा, चखा और उसमे सुधार के सुझाव दिए। लम्बे समय से , कालरा अपनी सेवा नहीं दे रहे हैं लेकिन उनके बेटे ने अपने पिता के जुनून को एक बड़ा पेशा बना दिया है। जोरावार कालरा ने कई सफल रेस्तरां का निर्माण किया जिनमें से एक दुनिया का सबसे सफल रेस्तरां चाइना में है। मैं मुंबई में अपने दोस्तों से मसाला लाइब्रेरी के बारे में सुन रहा हूँ, जिसकी समीक्षाएं बहुत सराहनीय थी। मुझसे मिलने वाले लोग वहाँ के रात्रि भोज से बहुत प्रभावित हुए और मेरे अंदर इस ब्रांड के बारे में काफी उम्मीदों को जाग्रत किया। दिल्ली में स्थित मसाला लाइब्रेरी जिसे मसाला लाइब्रेरी बाई जिग्स कालरा के नाम से जाना जाता है उससे मीडिया भी काफी प्रभावित हुई। उनका डिकॉन्सट्रक्टेड भोजन, उनका स्थान और उनका चखने योग्य मेनू हर कहीं और हर जगह प्रशंसनीय है।
स्थान
जिग्स कालरा की मसाला लाइब्रेरी शहर के दिल में और शहर की सबसे ऐतिहासिक सड़कों में से एक सड़क पर है। यह मेरिडियन होटल के बगल में जनपथ के पास स्थित है। निश्चित रूप से, जब इस जगह की बात आती है तो यह दुनिया के शीर्ष जगहों पर स्थित 100 सर्वश्रेष्ठ रेस्तरां में से एक होगा। यहाँ तक पहुँचने के लिए आपको पते की आवश्यकता नहीं है।
खुलने का समय
प्रवेश और नाश्ता 24 घंटे उपलब्ध नहीं है। यहाँ पर केवल दिन का भोजन और रात्रि का भोजन उपलब्ध है, यह सप्ताह के सातों दिन दोपहर 12 बजे से शाम 2:30 बजे तक और शाम 7 बजे से रात्रि 1 बजे तक खुलता है।
माहौलः
सबसे नयी और आधुनिक सुविधायें साथ ही में बीच में एक बड़ी लाईट, सुलभ सीढ़ीदार शराब का तहखाना, खाने की मेज पर बिछे हुए सफेद कपड़े और खाने के लिये ठोस कटलरी (चम्मच, काँटा और छुरी आदि) के साथ निर्मित नए युग के भोजनालय को देखकर ऐसा लगता है कि आप भोजन करने के लिये एक लक्जरी जगह पर मौजूद हैं। मुझे बहुत आराम से सीटें नहीं मिलीं, विशेषकर एक ऐसे रेस्तरां में जहाँ आपसे 3 घंटे बैठकर सिर्फ खाना खाने की उम्मीद की जाती है। यहाँ पर संगीत की अच्छी सुविधा है और अच्छी बात यह है कि रेस्तरां में रात्रि भोज के लिये 15 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को इस स्थान पर काम करने की अनुमति नहीं है। याद रखें, यह कोई बड़ा रेस्तरां नहीं है और इस जगह पर वॉक-इन्स को प्रोत्साहित नहीं किया जाता है, कभी-कभी यहाँ पर हफ्ते भर पहले से बुकिंग किये हुए लोग आते हैं।
सुविधाएं
जब बात आती है सुविधाओं की, यदि मसाला लाइब्रेरी लोगो की काम सांख्या रखे तो निश्चित रूप से बेहतर सुविधा प्रदान कर सकती है। उनके पास बहुत कर्मचारी हैं और उनमें से कोई भी अच्छी सेवा प्रदान नहीं कर रहा होता है। इनमें से कुछ कर्मचारियों को इंग्लिश स्पीकिंग कोर्स की आवश्यकता है , यदि उन्हें रेस्तरां की नीति “अवर स्टाफ ओनली स्पीक्स इन इंगलिश” की पलना करनी है। रेस्तरां के बारे में और ज्यादा कहने में यही है कि सेवायें उम्मीदों से कम है।
किराया
रूपये में भुगतान करने पर यह बहुत मंहगा है, यदि रुपये को डॉलर में परिवर्तित करें तब भी मेहगा ही लगता है । 3 लोगों के लिये रात्रि भोज का खर्चा 11,500 रूपये है इसमें 2 गैर-अल्कोहल वाले पेय, 1 पानी की बोतल और तीनों लोगों के लिये टेस्टिंग मेनू शामिल है।
भोजन
उनके भोजन के मेनू को देखने और समझने के लिये कम से कम 15 मिनट की आवश्यकता होती है। मेनू में आपके टेबल पर लाने के लिये 19 प्रकार के व्यक्तिगत व्यंजन होते हैं, इसलिये आपको कम से कम 19 बार स्टाफ से बातचीत करनी होती है, इसके बदले में आपको अपनी टेबल पर लाये जाने वाले भोजनो से संबंधित उनकी न समझ पाने योग्य अंग्रेजी की टिप्पणियों को सुनना पड़ता है। हमारी टेबल पर 40 से अधिक प्रकार के भोज्य पदार्थ लाये गये। उनमें आधे से भी अधिक शानदार थे, दूसरे आधे अधिकांश अच्छे और उत्कृष्ट थे, लेकिन 4 ऐसे थे जिनका टेबल पर कोई स्थान नहीं था। इन 4 व्यंजनों ने अभी तक का वरिष्ठ अनुभव को थोड़ा कम कर दिया। टेबल पर आया डिकान्सट्रक्टेड समोसा तीनों लोगों को बहुत पसंद आया। केतली और कप में परोसी गयी मशरूम चाई जो चाई नहीं थी लेकिन उसका एक नया आकर्षण था। ब्लैक कॉड खिचड़ी औसतन थी लेकिन उसके बटेर ने मन को खुश कर दिया, बहुत ताजा, बहुत नरम और स्वाद से भरा हुआ था। पारदर्शी प्लास्टिक ट्यूब में एक छोटा सा वडा था जिसमें रसम भरा हुआ था जिसे आप आधे घंटे या उससे भी ज्यादा समय तक रख सकते थे। वास्तव में पनीर के व्यंजनों का अभाव महसूस किया गया क्योंकि मेज पर एक व्यक्ति शाकाहारी था। दिल्ली में मुझे ऐसा कोई रेस्तरां नहीं मिला जो शाकाहारियों के लिए एक पूर्ण मेनू प्रदान करता हो और पनीर में कुछ न हो। भोजन के अंत में एक साथ तीन मिठाईयाँ परोसी गयीं। आशेन कुल्फी बेहतरीन थी और जलेबी कैवियार भी लाजवाब थी। बेशक, जलेबी कैवियार में कोई कैवियार नहीं थी यह जलेबी ही थी जिसे गोल्डन कैवियार की तरह दिखने के लिए बनाया गया था। बेल्जियन चॉकलेट गनाची के साथ भोजन का समापन हुआ।
आसपास के पर्यटकों का आकर्षण
आपके पास भोजन के पहले और बाद में आपके दाएं तरफ इण्डिया गेट और बाईं तरफ कनॉट प्लेस के साथ इस जगह के आस-पास सैर के लिए पर्याप्त विकल्प हैं। मैं संसद मार्ग पार्किंग में अपनी कार छोड़ने और भोजन के लिए इस जगह के लिए पैदल चलने की सलाह देता हूँ।
यह मार्ग एक स्वच्छ कचरा मुक्त यूरोपीय डिजाइन है। रात्रिभोज के बाद, आप इण्डिया गेट को एक नजर देखने और भारत के लॉन में जश्न मनाने के बाद पार्किंग में वापस टहलकर ताजा एकत्रित कैलरी को कम कर सकते हैं।




