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त्रिधारा शौचालय – एक अनोखी सौगात

August 21, 2017


Untitled-2किन्नर होना बहुत कठिन है। किन्नरों को हमेशा शिक्षा, रोजगार, चिकित्सा सेवाओं आदि जैसे क्षेत्रों में भेदभाव और समस्याओं का सामना करना पड़ता है। शौचालय की बुनियादी पहुँच किन्नर समुदाय द्वारा सामना की जाने वाली कई समस्याओं में से एक है। किन्नरों के लिए अक्सर सार्वजनिक शौचालयों में प्रवेश करना मुश्किल होता है और अक्सर उन्हें इन शौचालयों में शौच करने से रोक दिया जाता है। हालांकि, अप्रैल 2017 में इस समुदाय को केंद्र के एक निर्देश के साथ राहत मिली कि किन्नरों को अपनी पसंद के अनुसार पुरुषों या महिलाओं किसी का शौचालय उपयोग करने की अनुमति है। अब किन्नर समुदाय के लिए अलग शौचालय शुरू करने की एक नई और महान पहल की शुरुआत के लिए 21 वर्षीय एक युवा उनके साथ आया है।

त्रिधारा शौचालय

किन्नर समुदाय के प्रति समाज का यह रवैया वास्तव में उदासीन था, जिसने 21 वर्षीय सोभन मुखर्जी को किन्नरों के लिए कुछ सकारात्मक कार्य करने हेतु प्रेरित किया था। शौचालयों में प्रवेश न कर पाने के बारे में किन्नर समुदाय द्वारा सामना की जा रही समस्याओं के बारे में सोभन को पता चला, तो उसने एक पहल पर प्रकाश डाला और कहा कि किन्नर समुदाय के लिए स्वयं के शौचालय हों। सोभन ने स्थानीय नगरपालिका पार्षद अनीता कर से संपर्क किया, जिसमें ये विचार किया गया कि दक्षिण कोलकाता के बंसड्रोनी इलाके में स्थित चार पे एंड यूज शौचालयों में से दो को ‘अन्य’ (अदर) के लिए निर्धारित कर दिया जाए। उसने स्थानीय नगर पालिका पार्षद से इस मामले में आगे आने और इन वॉशरूम (शौचालयों) के संचालन को आगे बढ़ाने को कहा था।

सोभन ने किन्नरों के लिए टॉयलेट का नाम त्रिधारा रखा है। अंग्रेजी में इसका अनुवाद किए जाने पर इसका मतलब तीसरी शक्ति है। सोभन ने महसूस किया कि किन्नर एक तीसरा समुदाय है, इसलिए यह नाम सोभन के द्वारा चुना गया था। अन्य दो पुरुष और महिलाएं हैं। शौचालय वर्तमान में कोलकाता और पश्चिम बंगाल की राजधानी के शहर तक ही सीमित हैं। वार्ड 112 से शुरू करते हुए शौचालयों को अन्य वार्डों जैसे 97, 100, 111 और 114 में दोहराया जाएगा। अनीता कर इन वार्डों में उनके समकक्षों के साथ बात कर रही है ताकि सार्वजनिक शौचालयों में अलग-अलग किन्नर इकाइयां हों।

इस बीच, सोभन का पश्चिम बंगाल के पूरे राज्य में इस अवधारणा का प्रसार करने का लक्ष्य है और इसके लिए उसने विभिन्न एजेंसियों से संपर्क किया है। उनके प्रयासों के परिणामस्वरूप ही यह संभव हुआ है क्योंकि उनके द्वारा की गई पूछताछ में इनकी शुरूआत हुई है।

सोभन मुखर्जी की प्रशंसा

संभवतः देश में पहली बार ऐसा हुआ है जब किन्नरों को एक अलग शौचालय देने के प्रयास किए गए हैं। सोभन मुखर्जी, किन्नर समुदाय के लिए कुछ उल्लेखनीय करने के अपने प्रयासों के कारण प्रशंसा लूट रहे हैं। सोभन मुखर्जी ने एक ऐसे क्षेत्र में काम किया है, जहाँ अभी तक किसी ने कुछ भी नहीं किया, इस तरह के एक महान विचार के साथ आने के लिए, उन्हें स्थानीय नगरपालिका अनीता कर से प्रशंसा मिली है। किन्नर समुदाय ने भी उनके इस कदम का स्वागत किया है और इस समुदाय के कुछ सदस्यों ने अपनी प्रशंसा जाहिर करने के लिए सोभन की कलाई पर राखी भी बांधी।