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उपराष्ट्रपति चुनाव 2017: गोपालकृष्ण गांधी बनाम वेंकैया नायडू

July 19, 2017


vp-election-2017-hindiसत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने भारत के उपराष्ट्रपति पद के लिए अपने उम्मीदवार के रूप में पूर्व केंद्रीय मंत्री वेंकैया नायडू को चुना है। 17 जुलाई को राष्ट्रपति चुनाव की बैठक सफलतापूर्वक पूरी होने के बाद यह तय हुआ है कि भाजपा के उम्मीदवार श्री वेंकैया नायडू जी होगें। उनका मुकाबला राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी के पोते गोपालकृष्ण गाँधी जी से होगा। संयोग से, गोपालकृष्ण गांधी जी ने 2004-2009 में पश्चिम बंगाल के राज्यपाल के रूप में सेवा की है। उनको विपक्ष द्वारा नामित किया गया है। भाजपा के प्रमुख अमित शाह ने 17 जुलाई को हुई संसदीय बोर्ड की बैठक के बाद नायडू को उम्मीदवार बनाने की घोषणा की। 18 जुलाई को नायडू ने अपना नामांकन पत्र दाखिल किया है। उपराष्ट्रपति चुनाव अगस्त में होगा।

मंत्रियों की जरूरत

नियमों के अनुसार, अपना नामांकन दाखिल करने से पहले, नायडू ने केन्द्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री और शहरी विकास मंत्रालय के केंद्रीय मंत्री के दोनों पदों से इस्तीफा दे दिया है। इसका मतलब है कि आने वाले दिनों में हम केंद्रीय कैबिनेट में एक बड़ी फेरबदल की उम्मीद आसानी से कर सकते हैं। नायडू द्वारा रिक्त किए गए मंत्रालयों के साथ-साथ अन्य दो महत्वपूर्ण विभागों का ध्यान रखे जाने की आवश्यकता है। वे अन्य महत्वपूर्ण विभाग पर्यावरण विभाग और रक्षा विभाग हैं। मनोहर पर्रिकर रक्षा मंत्रालय की देखभाल कर रहे थे, लेकिन जब से उन्होंने गोवा के मुख्यमंत्री का पद संभाला है, तब से रक्षा मंत्रालय के पद को छोड़ दिया, जिसे वर्तमान समय में अरुण जेटली संभाल रहे हैं। मई 2017 में पूर्व केंद्रीय पर्यावरण मंत्री अनिल माधव डेव ने अंतिम सांस ली और वह भी इस विभाग की देखभाल करने के लिए किसी को नहीं छोड़ गये।

इस सब के बारे में नायडू का क्या सोचना है?

इस संबंध में यह ध्यान देना दिलचस्प है कि उपराष्ट्रपति के लिए भाजपा के उम्मीदवार के रूप में नामांकित होने से पहले नायडू ने हमेशा कहा है कि वह सक्रिय राजनीति का हिस्सा बनना चाहते हैं और वास्तव में उपराष्ट्रपति बनने में उनकी कोई दिलचस्पी नहीं है। संयोग से अमित शाह ने नायडू से बात करने से पहले नरेंद्र मोदी और पार्टी के अन्य प्रमुख नेताओं के साथ बैठकें आयोजित करके यह सब सम्भव बनाया।

नायडू की उपराष्ट्रपति बनने की संभावना

किसी भी अन्य चुनाव की तरह ही, इस चुनाव का नतीजा संसद के दोनों सदनों की कुल बहुमत के आधार पर तय किया जाएगा। चूंकि लोकसभा में भाजपा का भारी बहुमत है इसलिए ऐसी उम्मीद है कि हालात नायडू के पक्ष में अभी भी हैं। अमित शाह ने पहले ही कहा है कि राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के सभी सदस्यों ने नायडू को अपना समर्थन दिया है। शाह ने भारतीय संसद के अधिकांश-वरिष्ठ सदस्यों में से एक नायडू की प्रशंसा भी की है।

नायडू द्वारा निभाई गई भूमिका

शाह के अनुसार, 1970 से वेंकैया नायडू राजनीति में सक्रिय हैं और आपातकाल के दौरान इसके लागू किए जाने के विरोध में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। नायडू इससे पहले मोदी की अध्यक्षता वाली राष्ट्रीय कैबिनेट में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा चुके है, लेकिन इससे पहले उन्होंने अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल में भी कार्य किया है, जो भारत के प्रधानमंत्री बनने वाले पूर्व एनडीए सदस्य थे। अगर वास्तव में भाजपा के दोनों उम्मीदवारों को चुनाव के बाद राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति पदों पर चुना जाता हैं तो यह निश्चित रूप से कहा जा सकता है कि सत्ताधारी पार्टी ने वास्तव में भारतीय राजनीति में अपना प्रभुत्व स्थापित कर लिया है।