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दिल्ली में जल समस्या – कारण और निवारण

June 28, 2017


water-problem-in-delhiविश्व बैंक के विशेषज्ञों के अनुसार, 2020 तक दुनिया भर के पड़ोसी देशों और शहरों के बीच अगला युद्ध “पानी” के लिए होने का अनुमान लगाया जा रहा है। लेकिन वास्तविकता में राजधानी दिल्ली में पानी के लिये युद्ध पहले ही शुरू हो चुका है। दो राज्यों दिल्ली और हरियाणा के बीच पानी साझा करने के संबंध में निरंतर युद्ध चल रहा है, लेकिन इसे आधिकारिक रूप से कोई भी अंतिम रूप नहीं दिया गया है। राजधानी में बहुत लंबे समय से पानी की गंभीर समस्या और भी बदतर होती जा रही है।

क्यों है दिल्ली में पानी की कमी?

ठीक है, दिल्ली में पानी की समस्या के कई कारण हैं। जिनमें हम अपनी तेज गति से बढ़ रही जनसंख्या और विभिन्न इलाकों में मलिन बस्तियों का तेजी के साथ होने वाले विकास को अनदेखा नहीं कर सकते। दिल्ली में हजारों लोग पर्याप्त पानी की आपूर्ति और स्वच्छता सेवाओं के बिना ही जीवन यापन कर रहे हैं। इसका कारण भूमिगत जल का समाप्त होना है। गर्म मौसम और कम वर्षा के कारण राजधानी में पानी की कमी में वृद्धि हुई है।

सामान्य कारणः

  • दरअसल, दिल्ली जल बोर्ड (डीजेबी) जो पानी की आपूर्ति और प्रबंधन के लिए जिम्मेदार है, पानी के उचित वितरण की व्यवस्था करने में सक्षम नहीं है। शहर के अधिकांश हिस्सों में पाइप कनेक्शन न होने के कारण कई इलाके टैंकरों पर निर्भर हैं।
  • पानी की समस्या दिल्ली में गर्मियों के मौसम में होने वाली एक शाश्वत समस्या है। दिल्ली के यमुना नदी के किनारे स्थित होने के बाद भी दिल्ली को हर साल उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब और उत्तराखंड जैसे अन्य पड़ोसी राज्यों पर पानी आपूर्ति के लिए निर्भर होना पड़ता है। पानी प्रबंधन खराब होने के कारण बहुत सारा पानी बर्बाद हो जाता है।
  • इसका दोषी दिल्ली जल बोर्ड को माना जा सकता है, क्योंकि वह अपने बुनियादी ढांचे और उपकरणों को बेहतर कार्य में समर्थ होने की स्थिति में नहीं रख पा रहा है। लगभग 52% से ज्यादा पानी डीजेबी की पाइप लाइन लीक होने के कारण बर्बाद हो जाता है।
  • राजधानी में उचित जल उपचार और अपशिष्ट निपटान की सुविधा उपलब्ध नहीं है। पानी की कमी होने के कारण गंदे पानी का उपयोग किया जाता है, क्योंकि गंदे पानी का शुद्धीकरण करने के लिये कोई उचित साधन नहीं है।
  • इसके अलावा, जल का संकीर्ण रूप से वितरण, संचरण और वितरण में पानी की हानि, पानी का अनधिकृत उपयोग और पानी की बिना माप की आपूर्ति इत्यादि सभी ने राजधानी में पानी की कमी में वृद्धि की है।

दिल्ली और हरियाणा के बीच विवाद

पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने अपने कार्यकाल के दौरान दिल्ली में पानी की भारी कमी का दोषी हरियाणा सरकार को ठहराया था क्योंकि हरियाणा सरकार ने कच्चे पानी की आपूर्ति काफी कम कर दी थी। दूसरी ओर हरियाणा के मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि दिल्ली को उसके हिस्से से ज्यादा पानी मिलता है। हालांकि, हरियाणा सरकार ने 1 दिसंबर 2014 को नई दिल्ली में पानी की समस्या के सकारात्मक समाधान पर सहमति व्यक्त की। दोनों राज्यों के उच्च अधिकारियों की बैठक में यमुना और रवि-ब्यास नदियों के जल का उचित बँटवारा, दिल्ली में विभिन्न जल उपचार संयंत्रों में पानी का अनुपात तथा दिल्ली में जल आपूर्ति के लिए मुनक नहर का निर्माण जैसे मुद्दों पर चर्चा की।

दिल्ली में पानी की समस्या का समाधान

सीवेज उपचार संयंत्रों को कार्यात्मक बनाने के लिए उपाय करना।

  • पानी को फिर से उपयोग में लाने के लिए छोटे विकेंद्रीकृत सीवेज उपचार संयंत्रों के उपयोग को बढावा देना।
  • सरकार को सभी आवासीय घरों, व्यक्तिगत घरों, कॉर्पोरेट घरों और औद्योगिक इकाइयों में वर्षा जल संचयन को अनिवार्य बनाते हुये अधिक से अधिक वर्षा जल संचयन करना चाहिए।
  • पानी प्राप्त करना समस्या नहीं है बल्कि जल प्रबंधन करना सबसे बड़ी समस्या है। इसलिए जल संसाधनों के उचित प्रबंधन के लिए सटीक और सख्त उपाय किए जाने चाहिए।
  • बारिश के पानी को रोकने के लिये अधिकांशतः बांध का निर्माण करना चाहिए जहाँ बारिश का पानी बर्बाद हो जाता है।
  • पानी के उचित कानूनी प्रवर्तन पर जोर दिया जाना चाहिए।
  • हमें मांग पक्ष प्रबंधन के बजाय आपूर्ति पक्ष प्रबंधन पर अधिक ध्यान देना चाहिए।
  • भूमिगत जल का पुनः संचय करना चाहिए।
  • दिल्ली जल बोर्ड को सभी इलाकों में पानी का वितरण समान रुप से करना चाहिए।
  • भूमिगत जल के स्तर को बनाये रखने के लिये अधिक से अधिक वृक्षारोपण करना चाहिए।

सिंगापुर की कीमत प्रणाली

सरकार अन्य देशों की मूल्य निर्धारण प्रणाली का पालन कर सकती है। जैसा कि सिंगापुर में एक मूल्य निर्धारण प्रणाली है। सिंगापुर सरकार एक निश्चित मात्रा में पानी की खपत के लिए प्रति माह कीमत निर्धारित करती है। यदि नागरिक पानी का निर्धारित मात्रा से अधिक उपयोग करते हैं, इस स्थिति में उन्हें निर्धारित कीमत से ज्यादा राशि चुकानी पड़ती है। इस विधि के द्वारा पानी का विवेकपूर्ण ढंग से उपयोग किया जा सकता है।

नागरिकों द्वारा पानी का बचाव

यह सही समय है जब राजधानी के नागरिकों को पानी बचाने की आवश्यकता को समझना चाहिए। इसमें कुछ नया नहीं है, जब हम अपने दांतों को ब्रश करें तो नल को बंद रखें, स्नान करते समय बाल्टी का उपयोग करें शावर का नहीं, पौधों को पानी देने या अपनी कार साफ करने में नली का इस्तेमाल न करें, अपने नल में रिसाव को देखते ही तत्काल मरम्मत करायें, नल को खुला ना छोडें और इत्यादि बातों का ध्यान रखें। ये मूल नियम हैं जिन्हें हम बचपन से जानते हैं। लेकिन, क्या हम वास्तव में इनका सच्चाई से पालन करते हैं? चूंकि समाज का एक वर्ग अच्छी तरह से शिक्षित है, इस वर्ग का कर्तव्य है कि सामान्य और गरीब नागरिकों को पानी के संरक्षण की आवश्यकता के प्रति जागरूक करें।

और हाँ, सभी समाजों और घरों में वर्षा जल का संचयन करना बहुत जरूरी है। डीजेबी और सरकार के द्वारा जल संकट को खत्म करने के लिए समाधान और नीतियां बनायी जा रही हैं। इस दौरान, हम यह प्रतिज्ञा कर लें कि पानी को अनावश्यक रूप से बर्बाद नहीं करेंगे। मेरा मानना ​​है कि बचे हुए पानी की हर बूंद में बहुत कुछ है। यह समय लोगों की मानसिकता में बदलाव करने और सरकार को आक्रामक तरीके से कार्य करने का है।