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भारत में विश्व का सबसे ऊँचा रेलवे पुल: जम्मू-कश्मीर के चिनाब में बनाया जा रहा है

May 16, 2017


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उम्मीद है कि, 2019 तक जम्मू और कश्मीर (जे & के) की चिनाब नदी पर दुनिया के सबसे ऊँचे रेलवे पुल का निर्माण कार्य पूरा हो जायेगा। इस नये पुल की ऊँचाई एफिल टॉवर की तुलना में 35 मीटर अधिक ऊँचे होने की उम्मीद है। इस विशाल पुल की बनावट एक आर्क (अर्धवृत्ताकार या मेहराब) के आकार की है, जिसे उचित रूप में एक प्रतिरोधी क्षेत्र भी कहा जा सकता है। इसका निर्माण लगभग 1100 करोड़ रुपए में होगा। इस पुल के निर्माण में लगभग 24,000 टन से अधिक स्टील का प्रयोग किया जाएगा और नदी की सतह से इस पुल की उँचाई 359 मीटर होगी। उम्मीद है कि नया पुल 260 किलोमीटर प्रति घंटे की गति तक की हवाओं को बर्दाश्त करने में सक्षम होगा।

इंजीनियरिंग का एक चमत्कार

इस पुल के द्वारा 1315 किलोमीटर तक की दूरी तय की जा सकती है और इस लिए इसे इंजीनियरिंग का एक अद्भुत चमत्कार कहा जा सकता है। इसके दो अंतिम स्टेशन कटरा में बक्कल और श्रीनगर में कौरी हैं। यह पुल कटरा और बनिहाल के बीच एक महत्वपूर्ण कड़ी का गठन करेगा जो कि 111 किलोमीटर दूर है। यह ऊधमपुर, बारामूला और श्रीनगर को जोड़ने वाली रेल परियोजना का एक अहम हिस्सा भी बनने वाला है। रेल मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों के मुताबिक, निर्माण पूरी रेल परियोजना का सबसे चुनौतीपूर्ण हिस्सा होता है। निर्माँण पूरा हो जाने के बाद, यहाँ बहुत सारे पर्यटकों के आकर्षित होने की उम्मीद है।

विस्फोट प्रतिरोधक (ब्लास्ट प्रूफ)

पुल को जर्मनी और फिनलैंड जैसे देशों से आने वाले सलाहकारों द्वारा तैयार किया जायेगा, क्योंकि पुल को कभी भी विस्फोटों का सामना करना पड़ सकता है। इसलिए यह इस तरह से बनाया जा रहा है कि यह भूकंप के प्रभावों का भी सामना कर सके। भारतीय रेलवे का कहना है कि चिनाब के बाद दूसरा और तीसरा सबसे ऊँचा नदी पुल चीन के गुजोहू में है। दूसरा सबसे ऊँचा पुल नजीहे रेलवे पुल है, जो 310 मीटर की ऊँचाई पर ल्यूचांग्क्सियांग में स्थित है। तीसरा सबसे ऊँचा रेलवे पुल बेजपन नदी पर शुइबाई रेलवे पुल है। यह 275 मीटर की ऊँचाई पर ल्युपान्सुई में स्थित है।

रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) द्वारा निभाई गई भूमिका

डीआरडीओ ने इस पुल के निर्माण में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। यह सुनिश्चित करने के लिए भारतीय रेलवे के साथ मिलकर काम किया है कि यह पुल आतंकवादियों द्वारा किये जाने वाले बम विस्फोटों के प्रभाव को सहन करने में सक्षम हो। इस क्षेत्र की यह एक आम समस्या है जहाँ पुल का निर्माण किया जा रहा है। यह सुनिश्चित करने के लिए कि पुल सुरक्षित और अधिक मजबूत है, इसको 63 मिमी मोटी इस्पात के साथ बनाया गया है जो विस्फोटों का सामना कर सकता है। मार्च 2019 तक पुल का निर्माण कार्य पूरा हो जाने की उम्मीद है।

पुल के बारे में कुछ और जानकारी

पुल की लंबाई 4314 फीट होगी और इसकी ऊँचाई 1,178 फीट होगी। मेहराब का विस्तार 1570 फीट का है। चिनाब नदी की अपेक्षा कौरी नदी की तरफ से यह 1178 फीट अधिक ऊँचा होगा। इस पुल को मूल रूप से 2009 तक पूरा किया जाना था, लेकिन केवल सुरक्षा और स्थिरता के मुद्दों के कारण इसके निर्माण को आगे नहीं बढ़ाया जा सका था। जिसके कारण 2010 में इसका निर्माण शुरू हुआ। यह उम्मीद है कि समय-समय पर निरीक्षण करने के लिए पुल पर एक रस्सियों का मार्ग भी होगा। भारतीय रेलवे को वायु गति की जाँच करने के लिए पुल पर सेंसर भी लगवाने चाहिए।

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