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योगी आदित्यनाथ सरकार ने मिड डे-मील के लिए अनिवार्य किया आधार कार्ड

June 5, 2017


no-aadhar-card-no-mid-day-meal-hindiयोगी आदित्यनाथ सरकार ने 1 जुलाई 2017 से मिड-डे मील का लाभ लेने के लिए, उत्तर प्रदेश के सरकारी और गैर-सरकारी विद्यालयों के विद्यार्थियों के लिए आधार कार्ड अनिवार्य कर दिया है। मिड-डे मील योजना के तहत सरकार द्वारा कक्षा 1 से 8 तक के छात्रों के लिए निःशुल्क भोजन प्रदान किया जाता है।

उत्तर प्रदेश के सभी जिला अधिकारियों को इस फैसले को लागू करने के निर्देश दिए गए हैं। बेसिक शिक्षा के निदेशक सर्वेन्द्र विक्रम सिंह ने, पहले से ही सभी प्राथमिक शिक्षा अधिकारियों को एक आधिकारिक पत्र भेजा है, “सरकार ने सभी जिलों के बुनियादी शिक्षा अधिकारियों को यह सुनिश्चित करने के लिए निर्देश दिए हैं कि मिड-डे मील के प्रत्येक लाभार्थी को आधार कार्ड मिले, ताकि यह योजना प्रभावित न हो। यदि सभी लाभार्थियों के लिए, आधार कार्ड नहीं बनाया गया है और उनके नंबर जमा नहीं किए गए हैं, तो ऐसे कार्ड के बिना छात्र सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं उठा सकते हैं।”

उत्तर प्रदेश के प्राथमिक विद्यालयों में छात्रों के आधार नामांकन बहुत कम हैं, इसलिए स्कूल के अधिकारियों ने सभी छात्रों के लिए, आधार-कार्ड नामांकित कराने का प्रयास किया है। एक अपूर्ण अनुमान के अनुसार, सरकारी और गैर-सरकारी स्कूलों में केवल 15-20% छात्रों के पास आधार कार्ड उपलब्ध हैं। हालांकि, राज्य सरकार के प्रयासों के बावजूद, अभी तक आधार कार्ड के लिए कोई भी शिविर स्थापित नहीं किया गया है और नियम के कार्यान्वयन के लिए 15 दिनों से भी अधिक समय दिया गया है, इसलिए डर है कि इस फैसले के कारण स्कूल छोड़ने वालों की संख्या में बढ़ोतरी हो सकती है।

केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय का यह फैसला बहुत कठिन है, इस साल अप्रैल से, स्कूलों में मिड-डे के लिए आधार कार्ड अनिवार्य कर दिया है। हालांकि केंद्र सरकार ने 12 अंको के आधार कार्ड को मिड डे मील योजना का लाभ उठाने के लिए, अनिवार्य करने का फैसला किया है, जिसमें कई कार्यकर्ताओं का दावा है कि कई लाभार्थियों को बाल पोषण योजना से बाहर रखा जा रहा है।

शासन ने झारखंड, मणिपुर और आंध्र प्रदेश जैसे कई राज्यों के स्कूलों में मिड-डे मील स्कीम के तहत धन की व्यवस्था की थी, जिसमें 4.4 लाख “गैर-मौजूद छात्रों” की मदद से इसका दुरपयोग किया जा रहा है। 2015-16 और 2016-17 के आँकड़ो के अनुसार, इन स्कूलों में गैर-मौजूद छात्रों को मिड-डे मील योजना के आवंटन के लिए मौजूद दिखाया गया है। गैर-मौजूद छात्रों की उपस्थिति के कारण, 2014 में केरल के सामान्य शिक्षा विभाग द्वारा प्रारम्भिक अध्ययन में पाया गया, कि राज्य के स्कूलों में 3,892 शिक्षकों की एक अतिरिक्त संख्या थी।

भारत में 11.5 लाख स्कूलों में 13.16 करोड़ बच्चे नामांकित हैं, जिससे 10.03 करोड़ छात्रों ने 2015-16 में मिड-डे मील योजना का लाभ उठाया है। मिड-डे मील के लिए वित्तीय भार 40 और 60 के अनुपात में राज्य और केंद्र सरकारों द्वारा साझा किया जाता है। उत्तर-पूर्वी राज्यों के लिए, इसका अनुपात 90:10 है, साथ ही केंद्र ने निश्चित धन से अधिक भुगतान किया है। आधार कार्ड मिड-डे मील में कैसे मदद करेगा, इसके निम्न तरीके नीचे लिखे गए हैं-

  • यह सुनिश्चित करना कि मिड-डे मील का लाभ किसी विशेष छात्र को न दिया जाए।
  • इससे पहले, कि किसी ने फर्जी नामांकन आँकड़े जमा कराए है, तो उनकी जाँच की जाएगी।
  • विद्यालय सुविधाओं को बेहतर बनाने के लिए, राज्य सरकार उचित संसाधनों को उपलब्ध करायेगी।