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1993 मुंबई सीरियल ब्लास्ट – आखिरकार आ गया फैसला

June 19, 2017


mumbai-bomb-blast-hindiकुछ घावों को कभी नहीं भरा जा सकता है। हमारी मातृभूमि पर हुए हमले हमारी आत्मा पर हमेशा बने रहते हैं। 12 मार्च 1993 को बॉम्बे (मुंबई) शहर में होने वाला सीरियल बम विस्फोट, एक ऐसा ही घाव है। मुंबई के माफिया दाऊद इब्राहिम और उनकी अपराध सिंडिकेट डी कंपनी (टाइगर मेमन और याकूब मेमन के साथ) द्वारा नियोजित और निष्पादित बम विस्फोटों में 257 लोगों की मौत हो गई थी और 713 लोग घायल हो गए थे। बॉम्बे देश की वित्तीय राजधानी है और भारतीय विविधता व उद्यम की भावना वाले शहर पर किया गया हमला सबसे बुरे अपराधों में से एक है। यह एक साजिश हो सकती है।

न्याय की प्रक्रिया धीमी है, लेकिन कानून बारी-बारी से और अनिवार्य रूप से सही फैसला देता है। या कम से कम यही विश्वास करना चाहते हैं। विस्फोटों के करीब 24 साल बाद एक विशेष टाडा अदालत ने छह मुख्य आरोपियों को अपराधिक साजिश, हथियारों के आदान-प्रदान और हत्या का दोषी पाया। अदालत द्वारा दोषी ठहराए गए छह अभियुक्त अबू सलेम, मुस्तफा डोसा, फिरोज खान, ताहिर मर्चेंट, रियाज सिद्दीकी और करीमुल्ला खान हैं। 19 जून 2017 को होने वाली अगली सुनवाई के दौरान अपराधियों को सजा सुनाई जाएगी। इस संगठित अपराध के एक कुख्यात नेता सलेम को नवंबर 2005 में बातचीत के बाद पुर्तगाल में प्रत्यर्पित किया गया था। सालेम के बयान के बाद रियाज सिद्दीकी और अब्दुल कय्यूम शेख की गिरफ्तारी की प्रकिया जारी हुई थी।

आतंकवादी और विघटनकारी कार्यकलाप (रोकथाम) अधिनियम के अंतर्गत गठित विशेष अदालत दोषी ठहराए गए छह अपराधियों में से केवल पाँच लोगों को ही मौत की सजा दे सकती है। इसलिए सिद्दीकी को उम्रकैद की सजा सुनाई जाने की संभावना है। ऐसा इसलिए है, क्योंकि अदालत ने सिद्दीकी को आपराधिक साजिश का दोषी नहीं पाया है। अन्य अभियुक्त अब्दुल कय्यूम शेख को हथियारों और गोला बारूद के आदान-प्रदान जैसे सभी आरोपों से बरी कर दिया गया है।

यह मुंबई के 1993 के विस्फोटों के सिलसिले में आयोजित दूसरे दौर की सुनवाई है। विस्फोटों की मुख्य सुनवाई लगभग 14 साल बाद 2007 में हुई थी। जिसमें 100 से ज्यादा लोग दोषी पाए गए थे और उस समय ग्यारह अपराधियों को मौत की सजा सुनाई गई थी, शेष अपराधियों को जेल की अलग-अलग समय की सजा मिली और उन पर जुर्माना भी लगाया गया था। इस विस्फोट के दूसरे दौर की सुनवाई में देरी की वजह यह है कि शुक्रवार को न्याय का सामना करने वाले सात आरोपियों को 2003 और 2010 के बीच पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था। पुलिस द्वारा मुख्य सुनवाई वाले सभी आरोपियों के एक बड़े हिस्से को गिरफ्तार कर लिया गया था और इनमें से कई को सुनवाई से पहले ही सजा दी जा चुकी थी। वर्तमान में पुलिस हिरासत में कोई अभियुक्त नहीं हैं और इसलिए यह विस्फोट साजिशकर्ताओं और निष्पादकों के लिए टाडा द्वारा न्याय का अंतिम फैसला लग रहा है। ऐसा तभी हो सकता है, जब किसी भी तरह से 33 फरार आरोपियों (मास्टरमाइंड दाऊद इब्राहिम, अनीस इब्राहिम, मोहम्मद डोसा और टाइगर मेमन सहित अन्य) को गिरफ्तार कर लिया जाए।

मुख्य न्यायाधीश जीए सैनप ने वर्ष 2011 में मुकदमे की सुनवाई शुरू की थी इसलिए यह वर्तमान मामला उपन्यायिक है। दोनों अभियोजन पक्ष और रक्षा, कानून और तकनीकि पर भारत के सुप्रीम कोर्ट में अपील करने के लिये बदल गये हैं। मार्च 2017 में कार्यवाही समाप्त कर दी गई थी और जिसका निर्णय शुक्रवार को दिया गया था। भारत के लोग सोमवार को अपराधियों को दी जाने वाली सजा की खबर सुनने के लिए काफी बैचेन हैं। यह भी हो सकता है कि, जब मुख्य आरोपियों में से एक अबू सलेम को मौत की सजा न दी जाए, क्योंकि पुर्तगाल के साथ प्रत्यर्पण संधि के कारण 25 साल से ज्यादा समय के बाद मौत की सजा या जेल की सजा नहीं सुनाई जा सकती है।

केंद्रीय जाँच ब्यूरो (सीबीआई) का दावा है कि मुंबई में सीरियल विस्फोट बाबरी मस्जिद (दिसंबर 1992 में) के विध्वंस का बदला था और ये विस्फोट, इस घटना के बाद हुए सांप्रदायिक दंगों के परिणामस्वरूप किए गए थे। हालांकि, इन ब्लास्टों में मुम्बई के काफी हिंदू और मुसलमानों को अपनी जान गवानी पड़ी थी।