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भारत में अधिक लोकप्रिय क्यों है क्रिकेट?

July 7, 2018


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सचिन का खेलना, खेल में जान फूँक देता था। फेसबुक पर इस तरह के पोस्ट आम बात है, जहाँ पर सचिन ने लाखों लोगों का समर्थन पाया। जो उनके हर एक रन पर चिल्लाते थे और उनकी नाकामी पर रोते थे। इस तरह से पिछले वर्ष सन्यास लेने के बाद, सबसे कम उम्र में भारत रत्न पुरस्कार से सम्मानित होने के बाद सचिन ने हमारे समाज को बहुत ज्यादा प्रभावित किया है।

मैंने क्रिकेट की शुरूआत सचिन के उदाहरण के साथ की क्योंकि वह इस खेल में शीर्ष पर हैं, जबकि उनकी उम्र के विश्वनाथन आनंद, मैरी कॉम, पंकज आडवाणी आदि खिलाड़ी अब तक खेल रहे हैं फिर भी उन्हें कुछ भी हासिल नहीं हुआ है। इस घटना से क्या पता चलता है? कि सचिन ने क्रिकेट को अधिक लोकप्रियता से खेला है।

भारतीय क्रिकेट का इतिहास

भारत में क्रिकेट की लोकप्रियता का सवाल निश्चित रूप से आश्चर्यजनक है क्योंकि यह खेल मुख्य रूप से इंग्लैंड द्वारा केवल समय पास करने और आनंद लेने के लिए शुरू किया गया था। आरंभ में क्रिकेट को राजा-महाराजाओं या धनाढ्य लोगों का खेल कहा जाता था। सन 1932 में स्वतंत्रता प्राप्ति से पहले भारत ने टेस्ट क्रिकेट खेलना शुरू कर दिया था।

आजादी के बाद इसकी लोकप्रियता में महत्वपूर्ण वृद्धि हुई है। देश की आबादी का एक बड़ा हिस्सा गरीब और असहायों का था जोकि विभाजन के आघात से पीड़ित था, परन्तु क्रिकेट और हॉकी जैसे लोकप्रिय खेलों में भारतीयों की जीत सभी को दर्द निवारक के रुप में मिली थी।

सन 1952 में भारत ने अपना पहला टेस्ट मैच जीता, जिसमें शहर के कुछ असाधारण खिलाड़ी भी थे जिनमें अनुभव की बहुत कमी थी। जब विदेशी जमीन पर जीतना मुश्किल था तब अजीत वाडेकर ने 1971 में इंग्लैंड को उसके घर में हराया था और वेस्टइंडीज में सुनील गावस्कर ने दोहरा शतक जमाकर अपनी पारी को ऐतिहासिक बना दिया।

टीम की घर वापसी के बाद बेदी, चंद्रशेखर, प्रसन्ना और वेंकटरागवन के प्रशंसकों ने इनकी घातक स्पिन से कई इतिहास लिखे। प्रशंसकों के तहत गावस्कर की दृढ़ता की तुलना में गुंडाप्पा विश्वनाथ क्रिकेट की सूक्ष्मता के लिए यह खेल धीरे-धीरे भारत में सबसे अधिक लोकप्रिय खेल बन गया था।

क्रिकेट हॉकी से अधिक लोकप्रिय क्यों हैं?

लेकिन यह अभी तक मुख्य रूप से एक शहरी खेल था। भारत के बेहतरीन ऑलराउंडर और कप्तान कपिल देव के नेतृत्व में भारतीय टीम ने 1983 विश्व कप में असंभव जीत हासिल की जिसके बाद इसमें काफी परिवर्तन हुआ है। इसके बाद बड़े पैमाने पर लोग उत्साहित थे जिससे भारत के मध्यम वर्गीय घरों में क्रिकेट देखने के लिए टीवी सेटों का प्रचलन काफी बढ़ गया था। इस प्रकार सभी क्रिकेट मैचों का लाइव प्रसारण बच्चों के लिए डिफॉल्ट विकल्प बन गया। उस समय के क्रिकेटरों ने खेल को काफी ऊँचाइयों तक पहुँचा दिया था।

हमारा राष्ट्रीय खेल हॉकी होने के बावजूद भी हमने इसके विपरीत क्रिकेट को अधिक महत्व दिया है। लगभग 80 के दशक के आसपास भारत अंतर्राष्ट्रीय खेलों में आठ बार ओलंपिक स्वर्ण पदक विजेता रहा है। कृत्रिम टर्फ को अपनाने में नाकामी और नए नियमों का जुड़ाव होने के कारण हॉकी खेल पिछड़ता रहा जिससे इसकी लोकप्रियता में काफी गिरावट आई है। पारंपरिक केंद्रों में भी हॉकी खेलना लंबे समय तक अच्छी तरह नहीं चलने वाला था।

क्रिकेट की बढ़ती लोकप्रियता के पीछे बीसीसीआई का भी बहुत महत्व है। बीसीसीआई ने क्रिकेट को प्रभावी ढंग से बाजार में लाने के लिए दूरदर्शिता निभाई। परन्तु अब नई पीढ़ी आईपीएल जैसे खेल के लिए आकर्षित है। यह खेल पैसों के लिए सुनिश्चित किया गया है। लोग इसे मैदान पर गंभीरता के साथ खेलें या न खेलें। दूसरी तरफ हॉकी अब अपने खेल को एक साथ मिलाने की कोशिश कर रहा है। इसलिए उसने भी आईपीएल की तरह लीग खेलना शुरु कर दिया है।

मीडिया में बहुत कम चर्चा है कि राष्ट्रीय टीम वर्तमान में विश्व कप में हिस्सा ले रही है। शायद तथ्य यह है कि भारत इसमें केवल भूमिका निभाएगा और जीत की संभावना कम है। लेकिन आधिकारिक रूप से पराजय को बचाने के लिए टीम को कोशिश करनी चाहिए, तभी ये भारतीय हॉकी के लिए “अच्छे दिन” का संकेत हो सकता है !!

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