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दिल्ली में प्रदूषण: इसे कैसे नियंत्रित किया जा सकता है?

June 18, 2018


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प्रदूषण न केवल भारत में बल्कि दुनिया भर में चिंता पैदा करने वाले प्रमुख मुद्दों में से एक है। भारत की आजादी के बाद से तकनीकी उन्नति और तेजी से विकास ने सबसे ज्यादा पर्यावरण को नुकसान पहुँचाया है। वैश्विक पर्यावरण प्रदर्शन सूचकांक (ईपीआई) 2018 के अनुसार,भारत को 30.57 के ईपीआई के साथ 177 वें स्थान पर पहुँच गया हैऔरयह सुनकर मन निराश हो जाता है कि देश की राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली को, दुनिया के सबसे अधिक प्रदूषित शहरों में से एक माना जा रहा है।वायु प्रदूषण के मामले में दिल्ली दुनिया भर में सबसे ऊपरी स्थान पर है। इस प्रकार आज, दिल्ली में होने वाले विभिन्न प्रकार के प्रदूषण, लोगों और पूरे शहर की सलामती के सबसे बड़े खतरों के मुख्य कारणों में से एक है।

दिल्ली में विभिन्न प्रकार के प्रदूषणों का वर्गीकरण

  • वायु प्रदुषण
  • ध्वनि प्रदूषण
  • जल प्रदूषण
  • घरेलू कूड़ा-कचरा
  • औद्योगिक कूड़ा-कचरा
  • वाहन प्रदूषण
  • अस्पताल का कूड़ा-कचरा
  • ठोस अपशिष्ट आदि

दिल्ली में प्रदूषण के कारण

  • शहर की बढ़ती जनसंख्या, आबादी का दबाव और अव्यवस्थित विकास पर्यावरण को दूषित कर रहा है।
  • उद्योगों और कारखानों का उचित तकनीक और सही जगह विकास नहीं किया गया है। अध्ययनो से पता चला है कि औयगिक इकाइयों में से सिर्फ 20% औद्योगिक क्षेत्रों में स्थापित की गई हैं, जबकि बाकी सभी औद्योगिक इकाइयाँ आवासीय और वाणिज्यिक क्षेत्रों में स्थापित हैं।
  • मेट्रो और रेलवे के बावजूद भी वाहनों की संख्या में भारी वृद्धि हुई है, फलस्वरूप यातायात की भीड़ बढ़ने के साथ हवा और ध्वनि प्रदूषण में भी बढ़ोत्तरी हुई है। यह भी बताया गया है कि, दिल्ली की सड़कों पर चलने वाले वाहनों की संख्या मुंबई, कोलकाता और चेन्नई जैसे महानगरीय शहरों की तुलना में सबसे अधिक है।
  • सड़कों पर चलने वाले डीजल वाहनों की संख्या में भी बढ़ोत्तरी हुई है, जो वायु प्रदूषण के लिए काफी हद तक जिम्मेदार हैं।
  • राष्ट्रीय पर्यावरण इंजीनियरिंग अनुसंधान संस्थान (एनईईआरआई) द्वारा यह सूचित किया गया है कि हर रोज दिल्ली में करीब 8,000 मीट्रिक टन ठोस अपशिष्ट उत्पन्न हो रहा है। इसके अलावा यहाँ पर औद्योगिक खतरनाक और गैर-खतरनाक अपशिष्ट भी हैं। हर रोज औसतन, एमसीडी और एनडीएमसी 5,000 से 5,500 मीट्रिक टन कचरा साफ करने का प्रबंधन करती है। जिसके कारण शहर में अधिक से अधिक कचरा जमा हो जाता है।
  • शहर में ठोस, तरल, अपशिष्ट जल, औद्योगिक और अस्पताल के अपशिष्ट पदार्थों को व्यवस्थित करने की कोई उचित तकनीक या तरीका नहीं है।
  • कोयला आधारित बिजली संयंत्रों, इमारतों में ऊर्जा का अनुचित उपयोग और खाना पकाने और गर्म करने के लिए बायोमास का अत्यधिक उपयोग होने से जीवाश्म ईंधन पर बहुत अधिक निर्भरता बढ़ रही है।

प्रदूषण को मापने के लिए कणिका तत्व

प्रदूषण को मापने का एक तरीका कणिका तत्व भी होता है। कणिका तत्व मूल रूप से बहुत छोटे कणों, एसिड, रसायन, गैस, पानी, धातु और मिट्टी के धूल कण, आदि जैसे तरल बूंदों का मिश्रण है।यह माप शहर के प्रदूषण के बारे में बता देती है। इसे कण प्रदूषण या पीएम के रूप में भी जाना जाता है।

दिल्ली में प्रदूषण: तथ्य और आँकड़े

  • परिवेश वायु प्रदूषण (एएपी) की रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2014 में, दिल्ली में पीएमप्रदूषण5 के स्तर पर था।जो कि दुनिया भर से सबसे ज्यादा दिल्ली का है, इसके बाद बीजिंग है। यह परिणाम बाहरी देशों के वायु प्रदूषण के पीएम माप की निगरानी के आधार पर 91 देशों के लगभग 1600 शहरों पर आधारित था।
  • वायु प्रदूषण का पीएम 5 से अधिक होना बहुत गंभीर मामला माना जाता है और जिसके कारण श्वसन रोग और फेफड़ों के कैंसर जैसी अन्य स्वास्थ्य सम्बंधी समस्याएं हो जाती हैं।
  • विश्व स्वास्थ संगठन के अनुसार, भारत में होने वाली पाँच मौतों में से एक मौत वायु प्रदूषण के कारण होती है।
  • कार्बन मोनोऑक्साइड (सीओ), एक खतरनाक गैस है, जो दिल्ली में करीब 6,000 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर में व्याप्त है, जो कि 2,000 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर के सुरक्षित स्तर से अत्यधिक ऊपर है।
  • नाइट्रोजन डाइऑक्साइड (एनओ 2) का स्तर भी बढ़ रहा है।
  • पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के अनुसार, दिल्ली का वायु गुणवत्ता सूचकांक (एयूआई) 121 है, जिसे एक कमजोर सूचकांक कहा गया है। एएयूआई दैनिक हवा की गुणवत्ता की जाँच करने का एक सूचकांक है, जिससे हवा की स्वच्छता और प्रदूषण के बारे में पता चलता है।

दिल्ली में प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए सरकार के कदम

  • प्रदूषणकारी वाहनों पर नजर रखने के लिए विभिन्न स्थानों पर चलनशील प्रवर्तन दल तैनात किए गये हैं और पीयूसी प्रमाणपत्र न होने वाले वाहनों पर रोक लगा दी है।
  • दिल्ली के लिए प्रदूषण रहित, उपयोगी और किफायती रेल आधारित सार्वजनिक रैपिड पारगमन प्रणाली प्रदान करने के उद्देश्य से परिवहन के अन्य साधनों के साथ एकीकृत एक सार्वजनिक रैपिड पारगमन प्रणाली (एमआरटीएस) का निर्माण किया जा रहा है।
  • वाहनों के प्रदूषण को कम करने के लिए, 15 वर्ष से अधिक पुराने वाणिज्यिक या परिवहन वाहनों, टैक्सियों और ऑटो पर प्रतिबंध लगाया गया है। डीजल से चलने वाली शहर की बसों सहित अन्य पारम्परागत डीजल से चलने वाहनों पर भी रोक लगा दी गई है।
  • नए वाहनों के लिए बड़े पैमाने पर उत्सर्जन मानकों को भी मजबूत किया गया है।
  • दिल्ली में प्रदान किए जाने वाले ईंधन की गुणवत्ता में मुख्य पेट्रोल बिक्री, कम सल्फर डीजल की शुरुआत, सल्फर के उपयोग में कमी और पेट्रोल में बेंजीन की सामग्री को प्रतिबंधित करने से शुरूआती वर्षों में काफी सुधार हुआ है।
  • कचरे को इकट्ठा करने और निपटान करने के लिए कूड़ेदान को एक नियमित स्थान दिया गया है, इसके अतिरिक्त कचरा लादने वाली मशीनों, यांत्रिक रूप से सफाई करने वाले ट्रकों, कूड़ेदान बदलने वाली मशीनों औरकचरा लादने वाले ट्रकों की खरीद की गई है।
  • सफाई के लिये नये स्थानों को विकसित करके कचरे को कंपॉस्ट के रुप में बदलने के लिए कदम उठाए गए हैं।
  • दिल्ली सरकार ने जैव-चिकित्सा अपशिष्ट (प्रबंधन और हैंडलिंग) नियम, 1998 को लागू करने के लिए एक समिति का गठन किया है।
  • दिल्ली के डिग्रेडेबल प्लास्टिक के थैलों के (निर्माण, बिक्री और उपयोग) पर और कचरे पर (नियंत्रण) करने के लिए अधिनियम 2000 के अनुसार, प्लास्टिक की थैलियों के निर्माण और उपयोग पर प्रतिबंध लगाने के लिए यह नियम जारी किया जा चुका है।
  • सरकार ने बीएसएलवी III इंजन के निर्माण पर प्रतिबंध लगा दिया है, और यह सुनिश्चित करने के लिए नीति लागू की गई है कि केवल पर्यावरण अनुकूल बीएसएलवी चतुर्थ इंजन का निर्माण किया जाए।

ऐसा नहीं है कि सरकार दिल्ली में प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए कदम नहीं उठा रही है। लेकिन हमें सरकार द्वारा शुरू की गई योजनाओं और कार्यक्रमों और नीतियों को समुचित और कुशल रुप से अपनाने की आवश्यकता है।

प्रदूषण को कम करने में दिल्ली के नागरिक कैसे सहायता कर सकते हैं?

दिल्ली में प्रदूषण की समस्या एक बड़ी समस्या है, जिसे केवल सरकार को ही नहीं बल्कि शहर के नागरिकों को भी एक गंभीर मुद्दा मानना चाहिए।

  • सबसे आसान तरीकों में से एक यह है कि विभिन्न इलाकों में आवासीय कल्याण संगठनों की एक कुशल भागीदारी हो, घरों और कस्बों के कचरे का पृथक्करण होना चाहिए।
  • नागरिक अपने इलाकों में उत्पन्न कचरे से खाद बनाने के बारे में कदम उठा सकते हैं।
  • प्रत्येक क्षेत्र में अधिक से अधिक पेड़ों को लगाना चाहिए।
  • प्रत्येक व्यक्ति को अपने वाहनों के प्रदूषण स्तर की समुचित जाँच करवानी चाहिए।
  • सीएनजी का अधिक उपयोग करना चाहिए।
  • प्रदूषण को नियंत्रित करने के सर्वोत्तम तरीकों में से एक तरीका यह है कि, सभी प्रकार के कचरे का उचित तरीके से निपटान करना चाहिए।
  • प्रत्येक नागरिक को तीन कदमों-“पुनरावृत्ति”, “पुन: उपयोग” और “कम करना” का पालन करना चाहिए.
  • अधिक से अधिक लोगों को कारों और स्कूटरों के बजाय बस और मेट्रो का उपयोग करना चाहिए, क्योंकि इस तरह एक ही वाहन में बहुत अधिक लोग यात्रा कर सकते हैं। कार पूल भी यात्रा के लिए एक अच्छा विकल्प है।
  • ऊर्जा के उपयोग को नियंत्रित करना और एक कुशल तरीके से बिजली का उपयोग करना।
  • रसायनों, सफाई के घटकों, कीटनाशकों, हरियाली नाशकों और उर्वरकों आदि का उपयोग कम करने से भी जल प्रदूषण कम हो सकता है।

प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए एक व्यापक स्वरूप में सोचना हर नागरिक का कर्तव्य है। वास्तव में हम नहीं चाहते कि हमारी भविष्य की पीढ़ियाँ दिल्ली में एक अस्वास्थ्यकर वातावरण में रहें। हम वास्तव में नहीं चाहते हैं कि हमारे बच्चों या हमारे बुजुर्गों को प्रदूषण के कारण निरंतर बीमारियों के जूझना पड़े। जैसा कि हम जानते हैं कि दान घर से शुरू होता है, इसलिये मैं पर्यावरण की रक्षा के लिए जो कुछ भी सबसे अच्छी तरह से कर सकती हूँ और उसे करने के लिए मैं प्रतिज्ञा लेती हूँ। अगर हम में से हर एक हमारे पर्यावरण के लिए थोड़ा सा भी करने के प्रति वचन लेता है, तो मुझे यकीन है कि दिल्ली रहने के लिए एक बेहतर स्थान होगा। यहाँ तक कि एक छोटा सा कदम भी बहुत मायने रखता है...

 

 

 

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देश की राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली को, दुनिया के सबसे अधिक प्रदूषित शहरों में से एक माना जा रहा है।साल के अस्वास्थ्यकर वायु गुणवत्ता सूचकांक के साथ,वायु प्रदूषण के मामले में दिल्ली दुनिया भर में सबसे ऊपरी स्थान पर है।
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