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गौ रक्षा अभियान

August 12, 2016


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गौ रक्षा अभियान

गौ रक्षा अभियान

भारत की आबादी आज 1.25 अरब से ज्यादा की है। इसमें 79.8 प्रतिशत आबादी हिंदुओं की है। हिंदुत्व एक ऐसा धर्म है, जिसमें गाय को पवित्र और पूजा करने के योग्य माना जाता है। हिंदुओं में मांसाहार खाने वाले भी कई लोग बीफ और चमड़े के इस्तेमाल से बचते हैं। गाय की पूजा करने और उसके मांस को न खाने की भावना तारीफ के योग्य है। लेकिन दुर्भाग्य से इस व्यवस्था ने गाय ब्रिगेड को जन्म दे दिया है। स्वयंभू गौ-रक्षक या गौ-संरक्षक की एक नई जमात खड़ी हो गई है। समय-समय पर यह रक्षक, गायों के हितों के लिए हिंसक हो जाते हैं। यहां तक कि गौ-वध और गौ-भक्षण के संदिग्ध मामलों में भी  प्रतिक्रिया देते हैं ।

‘गौ-रक्षा’ और ‘गौ-रक्षक’ पिछले कई वर्षों से अपनी शरारतपूर्ण गतिविधियों को अंजाम देते आए हैं। लेकिन सितंबर 2015 में दादरी लिंचिंग प्रकरण यानी दादरी (गौतम बुद्ध नगर) में गैरकानूनी ढंग से दिए गए मृत्युदंड की खबर राष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियां बनी थी। बीफ खाने के संदेह पर एक मुस्लिम परिवार के घर पर गौरक्षकों के नेतृत्व में भीड़ ने हमला कर दिया था और एक सदस्य की हत्या कर दी थी। हाल ही में, जुलाई 2016 में गौरक्षकों ने उना (गुजरात) में मृत गाय का चमड़ा उतार रहे चार दलित युवकों की गौरक्षकों ने पिटाई की। भद्दी गालियां दी। कपड़े उतारे और पूरी घटना के वीडियो बनाए। इस घटना ने राज्य के दलितों को आक्रोशित कर दिया। बड़े पैमाने पर प्रदर्शन हुए। राजस्थान, उत्तर प्रदेश और हरियाणा में भी गौ-रक्षकों की वजह से हिंसा और प्रताड़ित करने की खबरें आ रही हैं।

प्रधानमंत्री का गौ रक्षकों पर सीधा हमला

प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की गौरक्षा के मुद्दे पर चुप्पी काफी महत्वपूर्ण समझी जा रही थी। भाजपा की हिंदू-समर्थक आदतों को सभी जानते हैं। लेकिन क्या गौरक्षक इसका फायदा उठाते हुए अपने उल्लू साधने में लग गए थे? कई लोगों ने उस मुद्दे पर प्रधान मंत्री की चुप्पी पर सवाल उठाए। 6 अगस्त 2016, शनिवार को, प्रधान मंत्री ने स्वयंभू गौ रक्षकों पर हमला बोला और उन्हें अपराधी तक कह दिया।

नई दिल्ली के इंदिरा गांधी स्टेडियम कॉम्प्लेक्स में जनता और मीडिया के सदस्यों को संबोधित करते हुए प्रधान मंत्री ने कहा- “मुझे इस गौ-रक्षा के धंधे पर बहुत गुस्सा आता है। कुछ लोग रात को असामाजिक गतिविधियों में लगे रहते हैं और दिन में गौ-रक्षक बन जाते हैं। गौ रक्षा के नाम पर दुकानें खोली गई है। सभी राज्यों को ऐसे लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करनी चाहिए।”

प्रधान मंत्री मोदी ने यह भी कहा कि गोवध के मुकाबले गायों की ज्यादा मौतें तो प्लास्टिक और अन्य प्रदूषित सामग्री खाने से होती है। सच्ची गौ-सेवा या गौ-रक्षा तो यह होगी कि वे लोगों से आग्रह करें कि सड़क पर ऐसी सामग्री न फेंके। इसके बजाय शरारती तत्व गौ-रक्षा को अपने कुकृत्यों को छिपाने के लिए मुखौटे की तरह इस्तेमाल कर रहे हैं।

प्रधान मंत्री मोदी घिरे आलोचना से

प्रधान मंत्री ने गौ-रक्षकों की जमकर आलोचना की। उनकी शरारतपूर्ण हरकतों को हरसंभव तरीके से निंदनीय कहा। इसके बाद भी उनकी आलोचना हो रही है। पहला तो यह कि इतने समय तक उनकी चुप्पी पर सवाल उठे। प्रधानमंत्री और उनके कैबिनेट सहयोगी दादरी जैसी शर्मनाक घटना होने के करीब एक साल तक इस मसले पर चुप रहे। विरोधियों का कहना है कि प्रधान मंत्री ने अपनी चुप्पी उसी समय तोड़ी जब उनके गृह राज्य में दलितों ने बड़े स्तर पर प्रदर्शन किए। दलितों ने व्यापक स्तर पर इस्लाम धर्म कबूल करने की धमकी दी और कार्यक्रम आयोजित किए।

दलितों का व्यापक तौर पर इस्लाम धर्म को अपनाना भाजपा के लिए नुकसानदायक हो सकता है। खासकर पंजाब, उत्तर प्रदेश और गुजरात जैसे राज्यों में, जहां अगले साल चुनाव होने हैं।

आलोचक प्रधान मंत्री की गौ-रक्षकों पर निकाली गई भड़ास के टाइमिंग पर सवाल उठा रहे हैं। वह इसे सोची-समझी नाटकीयता बता रहे हैं। न्यूयॉर्क टाइम्स ने अपने संपादकीय में लिखा था कि भारत में गौरक्षकों की गुंडागर्दी से निपटने में भाजपा शासन नाकाम हो रहा है। जब अमेरिका के शीर्षस्थ अखबार ने खास तौर पर प्रधान मंत्री की इस मुद्दे पर चुप्पी की आलोचना की तो उन्हें कुछ न कुछ तो बोलना ही था। भाजपा पर पिछले एक दशक में कई बार आरोप लगे हैं कि वीएचपी, आरएसएस और बजरंग दल की मुस्लिम-विरोधी गतिविधियों को उसका समर्थन रहता है। यहां तक कि वह ऐसी गतिविधियों को बढ़ावा भी देती है।

राज्यों ने शुरू किया अमल

आलोचनाओं से घिरने के बाद भी कुछ राज्यों और उनके पुलिस विभागों ने प्रधानमंत्री के बयान को गंभीरता से लिया। पंजाब पुलिस ने राज्य के गौ रक्षा दल के प्रमुख सतीश कुमार के खिलाफ केस दर्ज किया। कुमार और ग्रुप के दो अन्य सदस्यों पर आरोप है कि उन्होंने गायों का परिवहन करने वाले ट्रक ड्राइवरों को पीटने और अपमानित करने की कोशिश की थी।

पिछले कुछ वर्षों से राज्य में गौ रक्षा दल कई तरह की परेशानियां खड़ी कर रहा है। उनकी गतिविधियों ने राज्य में 30 से 40 साबुन फैक्टरियों को बंद करवा दिया है। चूंकि साबुन में बोविन फैट यानी गोवंशीय वसा का इस्तेमाल होता है। साबुन और डेरी इंडस्ट्रीज कई मर्तबा गौ रक्षा गैंग के खिलाफ शिकायत दर्ज करा चुकी हैं। उनका आरोप है कि पिछले कुछ साल से यह गौ रक्षा समूह उनके कारोबार में अड़चनें पैदा कर रहे हैं।

राज्य के इन उद्योगपतियों और कर्मचारियों का समर्थन भाजपा-अकाली दल की गठबंधन सरकार के लिए आने वाले चुनावों में महत्वपूर्ण रहेगा।

घाव भरने में लगेगा वक्त

भारत में गो रक्षा का आंदोलन बहुत पुराना है। 1887 में भी भारत धर्म महामंडल ने हरिद्वार में साथ आकर गोवंशीय पशुओं के हितों पर चर्चा की थी। जल्द ही नागपुर की गौरक्षिणी सभा जैसे कई समूह बने और गोरक्षा के लिए सक्रिय हो गए।

भारतीय राजनीति भी गौरक्षा से जुड़ी भावनाओं से प्रभावित दिखाई देती है। दक्षिणपंथी हिंदू राजनीतिक दल भारतीय जन संघ (बीजेएस) 1951 से 1977 तक सक्रिय रही। इसकी सफलता का बड़ा श्रेय 1960 के दशक में गौ रक्षा गतिविधियों को जाता है। बीजेएस से ही आगे चलकर जनता पार्टी और भारतीय जनता पार्टी का गठन हुआ।

गौ रक्षा से भावनाओं का जुड़ाव काफी गहरा है। ऐसे में गौरक्षकों का उभरना आश्चर्य में नहीं डालता। लेकिन गौरक्षकों की ओर से होने वाली हिंसा, मारपीट, अत्याचार और गाली-गलौज को दबाना जरूरी है। एक गहरी समझ और सामाजिक सुधार जरूरी है। प्रधान मंत्री ने हालिया भाषण में तारीफ करने योग्य बातें कहीं। अब इस पर पालन करना राज्यों की पुलिस और लोगों के हाथ में है।

मोदी द्वारा शुरू किए गए कार्यक्रम:

भारत में सामाजिक सुरक्षा हेतु अटल पेंशन योजना (एपीवाय)

‘बेटी बचाओ, बेटी पदाओ योजना’

सुकन्या समृद्धि अकाउंटः भारत में लड़कियों के लिए नई योजना

प्रधान मंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना (पीएमजेजेबीवाय)

भारत में सामाजिक सुरक्षा हेतु अटल पेंशन योजना (एपीवाय)

2014 में मोदी द्वारा किये गए टॉप पांच कार्यक्रम

प्रधान मंत्री सुरक्षा बीमा योजना (पीएमएसबीवाय) – एक दुर्घटना बीमा योजना

प्रधान मंत्री मुद्रा योजना

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