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प्रधान मंत्री कौशल विकास योजना: कौशल विकास योजना

July 16, 2018


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प्रधान मंत्री कौशल विकास योजना (पीएमकेवीवाई) क्या है?

यहाँ तक कि जैसे ही उन्होंने मेक इन इंडिया का अभियान शुरू किया, उन्होंने निवेशकों को भारत में निवेश करने और स्थापित करने के लिए दुनिया भर से आमंत्रित किया, प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के युवाओं को प्रचुर मात्रा में कुशल श्रम देने का वादा किया। इस कमी को पूर्ण करने वाले देश के युवाओं में कौशल विकास के विचार थे। इस प्रकार प्रधान मंत्री कौशल विकास योजना (पीएमकेवीवाई) युवा पुरुषों और महिलाओं को कौशल-आधारित प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए एक महत्वपूर्ण उपाय माना गया, इसके द्वारा उन्हें देश की गरीबी-विरोधी प्रयासों को करने और उसका समर्थन करने में सक्षम बनाता हैं। यह योजना भारत में सबसे अधिक महत्वपूर्ण हो जाती है क्योंकि यहाँ दुनिया की सबसे अधिक युवा आबादी है, जिसके लिए कौशल योग्य  रोजगार की आवश्यकता है।

क्या भारत विश्व की कौशल राजधानी हो सकती है?

20 मार्च 2015 को भारत सरकार ने राष्ट्रीय कौशल विकास निगम के माध्यम से प्रधान मंत्री कौशल विकास योजना (पीएमकेवीवाई) को बनाने और कार्यान्वित करने के लिए आधिकारिक तौर पर कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय को हरी झंडी दिखाई। लगभग 1,500 करोड़ रुपये के कुल व्यय के साथ, पीएमकेवीवाई के द्वारा देश के 24 लाख युवाओं को कौशल प्रशिक्षण प्रदान करने की उम्मीद की जा रही है, जो 10 एवं 12  कक्षाओं को छोड़ने वाले युवाओं पर और सामान्य आय वाले समूहों पर ध्यान केन्द्रित करेगा। यह योजना लगभग तीन महीने के समय में विकसित की गई थी और इसकी शुरूआत जून 2015 में हुई, शुरुआत में योजना चुने हुये राज्यों (मुख्य रूप से बिहार) में शुरू हुई थी। लेकिन बाद में यह योजना 15 जुलाई को देश के सभी राज्यों में शुरू की गई जिसे राष्ट्रीय कौशल दिवस के रूप में मनाया जाता है। 2014 की शुरुआत में भारत की बेरोजगारी दर औसतन 4.9 प्रतिशत थी। आशा है कि यह योजना उचित संख्या में बेरोजगारी की दर को कम करेगी।

कौशल भारत – मार्च 2015 में शुरू किया जाने वाला एक नया कार्यक्रम

 

कौशल मूल्यांकन की आवश्यकता

मार्च 2015 में कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय द्वारा प्रकाशित पीएमकेवीवाई योजना के अनुसार, इस योजना का प्रमुख उद्देश्य 24 लाख लोगों को कौशल प्रशिक्षण के बारे में अवगत कराना था। योजना के अनुसार प्रदान किए गए विषेश कौशल का निर्धारण राष्ट्रीय कौशल योग्यता (एनएसक्यूएफ) और परिश्रम की प्रतिक्रिया के आधार पर किया जाएगा जो संभावित तौर पर प्रशिक्षणार्थी को रोजगार देगा।

प्रदान किया जाने वाला विषेश कौशल प्रशिक्षण और राष्ट्रीय कौशल विकास निगम (एनएसडीसी) द्वारा 2013-2017 की अवधि के लिए, हाल ही के एक अध्ययन द्वारा कौशल अंतराल की माँग के आधार पर मूल्यांकन किया गया है। केंद्रीय मंत्रालय और राज्य सरकार के विभागों से विचार-विमर्श किया गया और विभिन्न उद्योगों और व्यवसाय प्रमुखों के निवेश पर भी विचार किया गया। डिजिटल इंडिया जैसी अन्य प्रमुख योजनाओं को लागू करने के लिए आवश्यक कौशल का भी मूल्यांकन किया गया था। वर्तमान में, योजना के अनुसार दिए गए कौशल प्रशिक्षण द्वारा 428 नौकरियों की भूमिकायें चलायी जा रहीं हैं।

यूएसटीएडी – शिल्पकारों के लिए कौशल उन्नयन और प्रशिक्षण पहल

 

नामांकन प्रक्रिया

पीएमकेवीवाई के बारे में जागरुकता पैदा करने के लिए सरकार ने विभिन्न दूरसंचार संचालकों से बात-चीत की है। देश भर में योजना की शुरुआत के बाद दूरसंचार संचालकों ने इस योजना के बारे में लोंगों को जानकारी हेतु सार्वजनिक एसएमएस भेज दिया है और संभावित उम्मीदवारों को कॉल करने के लिए एक नंबर प्रदान करेगा। उम्मीदवारों को 1800 102 6000 इस टोल फ्री नंबर पर एक मिस्ड कॉल देने की आवश्यकता होगी, जिसके बाद उन्हें एक आईटीआर से जुड़ने के लिए स्वचालित कॉल वापस आ जायेगी। संभावित उम्मीदवार को, इस स्तर पर  अपने विवरण को सिस्टम में भरने की आवश्यकता होगी। इन विवरणों को संरक्षित कर लिया जायेगा, और जाँच की जायेगी। प्रशिक्षण कार्यक्रमों के लिए नामांकित होने वाले अभ्यर्थी को निकटतम प्रशिक्षण केंद्र का विवरण दिया जायेगा और प्रशिक्षण वाले दिन प्रशिक्षण केंद्र पर सूचित करने के लिए कहा जाएगा।

प्रधान मंत्री कौशल विकास योजना का कार्यान्वयन

इस मसौदा योजना को ध्यान में रखते हुए, यह योजना (बिहार में) शुरू की गई थी और एनएसडीसी ने लगभग 24 क्षेत्रों में कौशल परिषदों के साथ भागीदारी की। 1 जुलाई 2015 तक, देश के सभी हिस्सों से लगभग 1,17,564 लोग पहले ही कौशल प्रशिक्षण के लिए नामांकित हो चुके हैं। पहले से ही 1,07,080 प्रशिक्षुओं के लिए प्रशिक्षण शुरू किया गया है। एनएसडीसी के प्रशिक्षित भागीदारों द्वारा इस योजना को चलाया जा रहा है। एनएसडीसी के पास लगभग 187 सूचीबद्ध प्रशिक्षित भागीदार हैं, जिसमें भारत के सभी राज्यों में लगभग 2,300 प्रशिक्षण केंद्र खुले हैं। यद्यपि यह योजना चयनित राज्यों में शुरुआती स्तर पर है, लेकिन आधी जुलाई तक पूरे देश में प्रारम्भ होने की उम्मीद है।

इस योजना की कुल लागत 1,500 करोड़ रुपये से अधिक है, जिसमें से 14 लाख युवाओं के कौशल प्रशिक्षण की दिशा में 1120 करोड़ रुपये आवंटित किए जाने की संभावना है। इसके अतिरिक्त, 220 करोड़ रुपये पहले “सीखने की मान्यता” के लिए खर्च किए जायेंगे। इस योजना के बजट में 67 करोड़ रुपये शामिल हैं जो जागरूकता फैलाने और नामांकन को बढ़ावा देने के लिये खर्च किए जायेंगे।

इसमें वेबसाइट के कार्यान्वयन और जागरूकता का अभियान चलाना शामिल है। पीएमकेवीवाई के बारे में जागरुकता पैदा करने के प्रयास में, एनएसडीसी राज्य सरकारों और नगर निगम संगठनों के साथ भागीदारी करेगा और सामान्य स्तर से उम्मीदवारों को जोड़ने के लिए बड़े पैमाने पर प्रशासनिक साधनों का प्रयोग करेगा। एनएसडीसी ने भी विभिन्न व्यवसायिक निकायों और कंपनियों के साथ भागीदारी की है, ताकि उम्मीदवारों के लिए परामर्श प्राप्त करने और प्रशिक्षण पूरा होने के बाद नियुक्तियाँ प्राप्त हो सकें। सरकार ने इसके लिए 67 करोड़ रुपये दिये हैं। इस योजना में भारत के पूर्वोत्तर क्षेत्र के युवाओं पर विशेष ध्यान केंद्रित किया गया है। क्योंकि पूर्वोत्तर क्षेत्र पर पारम्परिक रूप से ध्यान नहीं गया और इसलिए इस क्षेत्र में युवाओं के प्रशिक्षण के लिए 150 करोड़ रुपये अलग से दिये गये हैं।

प्रशिक्षण के अलावा, प्रशिक्षण कार्यक्रम के अंत में उम्मीदवार मूल्यांकन के माध्यम से ही जायेंगे। आकलन के आधार पर प्रशिक्षण पूरा हो जाने के बाद अभ्यर्थियों को योग्यता का प्रमाणपत्र भी जारी किया जाएगा। एनएसडीसी द्वारा हासिल किये गये कौशल पर उम्मीदवारों का आकलन करने के लिए तीसरे पक्ष के आकलन निकायों को शामिल किया गया है और अनुकरणीय उम्मीदवारों को धन-सम्बन्धी प्रोत्साहन या इनाम दिया गया है। प्रत्येक सफल उम्मीदवार को धन-सम्बन्धी औसत का प्रतिफल लगभग 8,000 रुपये है।

इस योजना ने प्रशिक्षण भागीदारों पर ज्यादा ध्यान दिया है। नामांकन से पहले इन भागीदार संस्थानों का अध्ययन और मूल्यांकन किया गया है। प्रशिक्षण सत्रों के लिए एनएसडीसी द्वारा डिजिटल प्रशिक्षण की सुविधायें और सक्षम प्रशिक्षकों का अत्यधिक मूल्यांकन किया गया है। व्यावहारिक रोजगार में विकसित पाठ्यक्रम अत्यन्त योग्य और कुशल हैं। प्रशिक्षण सत्र और प्रशिक्षण संस्थानों की देख-रेख लगातार राज्य सरकार की एजेंसियों और क्षेत्र के कौशल परिषदों द्वारा की जाएगी। उम्मीदवारों की प्रतिक्रिया भी माँगी जाएगी।

नवीनतम आधुनीकीकरण

योजना के शुभारम्भ की पहली वर्षगाँठ पर, केंद्रीय मंत्रिमंडल ने अगले चार वर्षों में एक करोड़ लोगों को कौशल प्रशिक्षण देने के लिए 12,000 करोड़ रुपये व्यय करने की घोषणा की है।

सरकार के अनुसार, इस योजना में 18 लाख उम्मीदवारों की भर्ती की गई है और 18 जुलाई, 2016 तक 17.93 लाख उम्मीदवार प्रशिक्षित हो जायेंगें। सरकार आगे कहती है कि कौशल विकास योजना में अनुसूचित जाति और प्रमाणित अल्पसंख्यक उम्मीदवारों की संख्या क्रमशः 2,37,067 और 1,48,351 है।

राष्ट्रीय कौशल विकास निगम द्वारा 2016 के अंत तक देश में 50 भारतीय अंतर्राष्ट्रीय कौशल केंद्र स्थापित होने जा रहे हैं। यह केंद्र स्वास्थ्य देखभाल, श्रमिकों, फुटकर बिक्री, सुरक्षा, पर्यटन, आतिथि-सत्कार, पूँजीगत सामान, ऑटो, निर्माण और घरेलू श्रमिकों आदि को प्रशिक्षण प्रदान करेगा।

प्रशिक्षण केंद्रों की सूची: 23 मार्च 2017तक, युवाओं को कौशल प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए पूरे देश में कुल 2150 पीएमकेवीवाई प्रशिक्षण केंद्र काम कर रहे हैं। ये प्रशिक्षण केंद्र पीएम कौशल विकास योजना के विभिन्न अधिकृत प्रशिक्षण सहभागियों द्वारा चलाए जाते हैं। पीएमकेवीवाई प्रशिक्षण केन्द्रों की सबसे ज्यादा संख्या उत्तर प्रदेश में 356 है राजस्थान में 257 और तमिलनाडु में 139 है। पूरी सूची के लिए, आप इस लिंक पर क्लिक कर सकते हैं-http://pmkvyofficial.org/Training-Centre.aspx

पाठ्यक्रम सूची और नौकरी की भूमिकाएं: पीएमकेवीवाई पाठ्यक्रमों की नई सूची 16 दिसंबर 2016 को मंत्रालय द्वारा जारी की गई थी। वर्तमान में, 34 कौशल परिषदों के माध्यम से विभिन्न वर्टिकल उद्योगो (संकीर्ण या विशिष्ट उद्योग) में 221 पाठ्यक्रम पेश किए गए हैं।