Home / Imo / मोदी बनाम राहुल गांधी : कौन मारेगा 2019 का मैदान

मोदी बनाम राहुल गांधी : कौन मारेगा 2019 का मैदान

December 19, 2018


मोदी बनाम राहुल गांधी

चार साल पहले, भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) लोकसभा चुनावों में जबरदस्त जीत के साथ सत्ता में आई थी। गुजरात से लेकर संसद रोड नई दिल्ली के मार्गों पर “मोदी लहर” रुकने का नाम नहीं ले रही थी। जैसा कि वे कहते हैं कि सत्ता का पतन और उदय हर समय होता रहता है, इसलिए भाजपा के उदय के साथ एक अन्य पार्टी – भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का पतन हो गया था।

सत्ता में रहने के बाद केवल 545 सीटों में से 44 हासिल करके, पार्टी वास्तव में काफी नीचे गिर चुकी है। कई लोगों का मानना था कि भारत में कांग्रेस का अंत होगा और लंबे समय से ऐसा निश्चित रूप से महसूस किया गया। जनता ने कांग्रेस से असंतुष्ट होकर अपना फैसला सुनाया था और अच्छे दिनों का स्वागत किया। हालांकि यह उतार-चढ़ाव फिर से बदला हुआ नजर आ रहा है।

2018 के विधानसभा चुनावों में, कांग्रेस ने भाजपा से सभी तीन हिंदी बेल्ट राज्यों को छीन लिया है। 2014 के बाद से पहली बार उत्तर भारत से भगवा पार्टी के लोग मदद न करने के अलावा कुछ पूछना चाहते हैं।

क्या राहुल गांधी को प्रतिद्वंद्वियों द्वारा पप्पू कहा जाता है, अब मोदी के आकर्षण के लिए एक गंभीर खतरा है? 2019 के लोकसभा चुनावों में कांग्रेस सत्ता में वापस आने का प्रबंध करेगी?

2018 विधानसभा चुनाव

दिसंबर 2018 में, पांच प्रमुख भारतीय राज्यों- राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, तेलंगाना और मिजोरम में चुनाव संपन्न हुए। इनमें से पहले तीन राज्यों में भाजपा का शासन रहा था राजस्थान में 5 साल, और मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ दोनों राज्यों में भाजपा तीन बार कार्यकाल में रही। हालांकि, जैसे-जैसे परिणाम आने शुरू हुए एक बात स्पष्ट हो गई: 2014 में मोदी के पदभार संभालने के बाद बीजेपी की सबसे बड़ी हार मानी जा रही थी।

17 दिसंबर को कांग्रेस के सभी तीन नए नियुक्त मुख्यमंत्री ने अगले पांच साल तक के कार्यकाल के लिए शपथ ग्रहण की। कांग्रेस पार्टी ने अनुभवी नेताओं – राजस्थान में अशोक गहलोत, मध्यप्रदेश में कमलनाथ और छत्तीसगढ़ में भूपेश बागेल को मुख्यमंत्री पद पर लेने का फैसला किया है। प्रधानमंत्री मोदी के सभी राज्यों में उत्साह के साथ प्रचार रैलियों को संबोधित करने और सभी बीजेपी के ” सक्षम व्यक्तियों” द्वारा जोर-शोर से किए जा रहे प्रदर्शन के बावजूद भी भारतीय जनता पार्टी अपनी सत्ता बरकरार नहीं रख सकी।

परिवर्तन की लहर?

जबकि बीजेपी के सदस्यों में लगातार पतन देखा जा रहा है। वहीं कई लोगों का मानना है कि विधानसभा चुनावों के परिणाम 2019 में होने वाले लोकसभा चुनावों की एक झलक थी। इस चुनाव को सभी महत्वपूर्ण राज्यों में आगामी 2019 चुनावों का “प्रतिबिंब” कहा जाता था। या अधिक स्पष्ट रूप से कहें तो यह चुनाव ग्रैंड मैच से पहले का “सेमीफाइनल” था। और, अगर हम उस परिभाषा से जानना चाहें तो, तो बीजेपी के पास अपनी पुरानी युद्धपोत योजनाओं को ढूंढ निकालने का अच्छा कारण है।

इस सदमे के बावजूद कई लोगों को लग रहा है कि कांग्रेस ने शानदार वापसी की है, वास्तव में, यह एक गोचर सफर लग रहा है। 2017 में, जबकि कांग्रेस सात में से सिर्फ एक राज्य (पंजाब) में सत्ता में लौटने में कामयाब रही, जो कि ध्यान देने योग्य एक दिलचस्प कारक था।

गुजरात, जो कि प्रधानमंत्री मोदी का गढ़ है, जैसा कि उम्मीद थी, भारतीय जनता पार्टी ने जीत हासिल करेगी। हालांकि, भगवा पार्टी ने पिछला बार की तुलना न केवल 16 सीटें कम जींती बल्कि यह सीटें कांग्रेस के खाते में बढ़ गईं हैं। एक पार्टी के लिए, जो लोग मानते हैं कि वह वापस सत्ता में नहीं आएगी गुजरात जैसे राज्य में ऐसा करना निश्चित रूप से कुछ अलग था।

वर्ष 2018 की समाप्ति को, 2019 में 10 सीटों पर होने वाले लोकसभा चुनावों के साक्ष्य के रूप में देखा गया है। इनमें से 7 भाजपा के अधीन थी। हालांकि, पार्टी 1998 से लगातार योगी आदित्यनाथ द्वारा आयोजित सीट गोरखपुर को खोने के बाद भी इनमें से 2 को बरकरार रख सकती थी। अलवर और अजमेर सीट पहले भाजपा के पास थी जिसे कांग्रेस ने जीत लिया जिसका सारा श्रेय सचिन पायलट को जाता है।

 अवलोकन

इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि इसके विपरीत कितने तर्क दिए गए हैं, दो चीजें स्पष्ट हैं :

  1. गांधी के नेतृत्व वाली पार्टी की तस्वीर 2019 में पूरी तरह से बाहर नहीं है। यदि वह मजबूती के साथ वापसी करती है।
  2. मोदी के साथ-साथ भाजपा की लोकप्रियता अभी भी बरकरार है। हालांकि अब उसे “अजेय” नहीं कहा जा सकता।

2014 में कांग्रेस पार्टी को बड़ी हार का सामना करना पड़ा था। ऐसी अफवाहे थी कि राहुल गांधी ने 2019 को छोड़ कर 2024 के लिए तैयारियाँ शुरू कर दी हैं। पूरी तरीके से न सही लेकिन फिर भी पार्टी एक प्रभावशाली वापसी करने में कामयाब रही। उपहास का विषय न बनते हुए राहुल गाधी के गंभीर नेतृत्व ने पार्टी को वापसी की आशा दिलाई और जो काफी हद तक सफल रही।

आगे का रास्ता नहीं है इतना आसान

भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस

अभी हालात भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के लिए सुनहरे लग रहे हैं, लेकिन पार्टी के पास अभी भी एक लंबा सफर तय करना है। हां, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने काफी लोकप्रियता और समर्थन प्राप्त किया है, खासतौर पर 2018 विधानसभा चुनावों के परिणामों के साथ। हालांकि, इस बात से इनकार नहीं किया जा रहा है कि भाजपा अभी भी देश में एक मजबूत आधार बनाए रखने का आनंद ले रही है, भले ही हम सांप्रदायिक राजनीति को अलग रखें। लोगों के लिए राहुल गांधी को उन्हें प्रधानमंत्री के रूप में गंभीरता से विचार करने के लिए, आईएनसी को बड़ी देखभाल के साथ आगे के महीनों की योजना बनाना है।

भाई-भतीजावाद: बीजेपी का सबसे बड़ा फायदा कांग्रेस पर है, बाद में गांधी परिवार का स्पष्ट प्रभुत्व है। बीजेपी अपनी सभी संभावित कमी के साथ अभी भी एक पार्टी है बिना किसी “परिवार” टैग के। खुद, मोदी ने अवसरों पर राष्ट्रपति पद के लिए गैर-गांधी पार्टी के सदस्य की नियुक्ति करने के लिए चुनौती दी है।

कांग्रेस के हिस्से में और चुनौतियां हैं। उदाहरण के लिए, 17 दिसंबर, 2018 को अनुभवी नेता कमलनाथ को राज्य में कांग्रेस की जीत के बाद मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री नियुक्त किया गया था। कमल नाथ पर 1984 के सिख दंगों में भाग लेना का आरोप लगाया गया जिसके परिणामस्वरूप समुदाय के लोगों की सामूहिक हत्याएं हुईं। इसने कई लोगों की भावनाओं को जानबूझकर चोट पहुंचाई, खासतौर पर सिख समुदाय से संबंधित लोगों को। “निष्पक्ष और न्यायोचित” कार्य करने की छवि बनाने के लिए पार्टी को विशेष रूप से कड़ी मेहनत करने की आवश्यकता होगी।

भारतीय जनता पार्टी

दशकों से, भारतीय जनता पार्टी ने भारत के उत्तरी राज्यों में व्यापक लोकप्रियता का आनंद लिया है। हालांकि, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश अब इसकी समझ से बाहर, यहां भाजपा की छवि हिल गई है।

भाजपा के लिए सबसे बड़ी चुनौती और कांग्रेस के लिए एक बड़ा फायदा पिछले पांच वर्षों में पूर्व का ट्रैक रिकॉर्ड होगा। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के पास पिछले कार्यकाल में सत्ता से बाहर होने का सुनहरा कार्ड है और इसलिए, इसे किसी भी बात का जवाब नही देना पड़ेगा, बीजेपी को 2014 से अपने पतन के लिए जवाब देना होगा। रोज़गार उत्पादन, प्रदर्शन, प्रेस की स्वतंत्रता इत्यादि जैसे मुद्दों पर पार्टी की गंभीर आलोचना की गई है। भले ही हम मानते हैं कि असंतोष विनाशकारी रूप से उच्च नहीं है, फिर भी पार्टी को सत्ता में आने के लिए एक बहुत मजबूत प्रदर्शन की आवश्यकता होगी।

पार्टी को अपने खिलाफ एक बड़े विपक्षी गठबंधन की संभावना का भी सामना करना पड़ेगा।

निष्कर्ष

कांग्रेस और भाजपा दोनों के लिए आगे की राह चुनौतीपूर्ण होगी। हालांकि, देश के राजनीतिक माहौल ने एक बात स्पष्ट कर दी है, 2014 की तरह यह एकतरफा चुनाव नहीं होगा। कांग्रेस में भारतीय जनता पार्टी का वैध खतरा है और राहुल गांधी में भी कई लोगों के लिए आश्चर्य की बात है।

राज्य विधानसभा चुनाव एक पूर्वावलोकन हो सकता है, लेकिन 2019 का युद्ध बहुत आश्चर्य के साथ पैक होकर आना सुनिश्चित है।

Summary
Article Name
मोदी बनाम राहुल गांधी : कौन मारेगा 2019 का मैदान
Description
2018 के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस ने 5 राज्यों में से 3 राज्यों में जीत हासिल की हैं। अब, 2019 लोकसभा चुनाव का इंतजार है। राहुल गांधी के उभरते चेहरे के साथ कांग्रेस की वापसी मोदी के आकर्षण के लिए गंभीर खतरा होगी?
Author

Like us on Facebook

Recent Comments

Archives
Select from the Drop Down to view archives