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Category Archives: Imo

नारीवाद: अधिकार और कमियां

अगस्त 2018 के आखिरी सप्ताह में, 150 पुरुषों ने अपनी बुरी पत्नियों के ‘विषाक्त’ नारीवाद से छुटकारा पाने के लिए अपने विवाह का ‘अंतिम संस्कार’ कर दिया। इस पूरे समारोह को सेव इंडियन फैमिली फाउंडेशन (एसआईएफएफ) द्वारा आयोजित किया गया था। एक बुनियादी सदस्य के मुताबिक, नारीवाद अपने समानता के मूल एजेंडे से भटक गया है। “इसका मतलब यह है कि सरकार चाहती है कि पुलिस अब शयनकक्षों में प्रवेश करे, जो शादी के बंधन [...]

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कार्य-जीवन में संतुलन कैसे बनाए रखें?

एक “9 से 5” की नौकरी करने वाला व्यक्ति जो आमतौर पर हर दिन 6 बजे कार्यालय छोड़ देता है। उसकी गर्दन में इतनी देर से बंधी हुई टाई उसे दिन के अन्त तक एक फंदे की तरह महसूस होने लगती है। तो आप अपने बारे में बताएं कि यह कैसे होना चाहिए।लेकिन, क्या ऐसा वास्तव में है? कार्यालय में प्रवेश करने से पहले ही हम एक लंबे दिन के बारे में सोचकर डरने लगते [...]

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क्या तलाक में वृद्धि से हमारी संस्कृति को खतरा हैं?

2015 में, भारत में तलाक की दर हर 1000 विवाह पर लगभग 13 थी।हालांकि यह अभी भी दुनिया में सबसे कम है,लेकिन यह दर एक दशक पहले के 1000 विवाह अनुपात पर1 तलाक में होने वाली तेज वृद्धि को दर्शाती है। 2013 में, तलाक की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए बेंगलुरु में तीन नई पारिवारिक अदालतें स्थापित की गई थीं। देश की न्याय व्यवस्थामें हर दिन इससे संबंधित अत्यधिक और नए-नए मामले देखने [...]

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क्या मृत्यु दण्ड समाप्त होना चाहिए?

सरकारी सूत्र बताते हैं कि स्वतंत्रता के बाद से भारत में 52 लोगों को मृत्यु दण्ड दिया गया है।हालांकि, एक भारतीय मानवाधिकार संगठन,पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज का दावा है कि यह संख्याएं बहुत अधिक हैं।उनके शोध के अनुसार दशक 1953-63 में 1422 मृत्यु दण्ड दिए गए हैं। 30 जुलाई 2015 को भारत मेंअंतिम मृत्यु दण्ड याकूब मेमन को दिया गया था।1993 के मुम्बई बम विस्फोट में उसकी भूमिका के लिए उन्हें दोषी ठहराया गया [...]

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एक अच्छे माता पिता कैसे बनें?

जॉन स्टीनबेक ने कहा, “शायद बच्चों की उन्नति करने में माता पिता का हाथ होता है …” और ऐसी ही संभावना जतायी जाती है-जोकि उचित है। आधुनिक दिनों में बच्चे एक कैंडी बार जाने को लेकर किए गए वादे की जिद नहीं करते, बल्कि वे बाहर जाने की तुलना में कंप्यूटर पर गेम खेलना पसंद करते हैं , वे अपने किशोरावस्था से पहले दुर्व्यवहार वाले तरीके अपनाने लगते हैं। संक्षेप में कहें तो,वे सब कुछ [...]

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क्या आरएसएस ने स्वतंत्रता संग्राम में योगदान दिया था?

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, दुनिया का सबसे बड़ा स्वैच्छिक मिशनरी संगठन है जिसकी स्थापना 27 सितंबर सन 1925 में के. बी. हेडगेवार ने की थी। हेडगेवार का जन्म नागपुर के एक मराठी देशस्थ ब्राह्मण परिवार में सन् 1889 को हुआ था। वह पेशे से एक डॉक्टर थे तथा 1915 में अपनी शिक्षा और शिक्षुता को पूरा करने के बाद अपने जन्मस्थान में लौट आए। इसके तुरंत बाद, 1920 के दशक में सक्रिय रूप से हेडगेवार भारतीय [...]

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प्रो-लाइफ या प्रो-चॉइस: गर्भपात का मुद्दा

पिछले एक दशक में दो समूहों के बीच इस मुद्दे की संख्या में वृद्धि देखी गई, जिन्हें प्रचलित रूप में “प्रो-लाइफ” और “प्रो-चॉइस” के नाम से जाना जाता है। हालांकि, इस मुद्दे के दोनों आधार भूत तथ्य बहुत पुराने हैं और किसी भी राष्ट्रीय सीमा तक ही सीमित नहीं हैं। भारतीय संदर्भ में, यह मुद्दा हमारी जटिल नैतिकता और सामाजिक मूल्यों की वहज से अधिक पेचीदा हो गया है। गर्भपात का मुद्दा क्या है? प्रो-लाइफ: [...]

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अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, असंतोष की स्वतंत्रता

“असंतोष देशभक्ति का उच्चतम रूप है।” 5 सितंबर 2017 की सुबह जब गौरी लंकेश की नींद खुली होगी तो उनको नहीं पता होगा कि यह उनका आखिरी दिन होगा, न तो सुजात बुखारी को पता होगा और न ही उन 46 भारतीय पत्रकारों को पता होगा जिन्होंने 1992 से अभी तक अपनी जान गंवा दी। बेंगलुरू में गौरी लंकेश की उनके घर के सामने एक अज्ञात व्यक्ति के द्वारा गोली मारकर हत्या कर दी गई [...]

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इस्मत चुगताई

मुझे लगता है कि यह उनकी कार्यनीति है- अपने संघर्षों के माध्यम से जीवन की सच्चाई का परीक्षण करने की – सआदत हसन मंटो द्वारा इस्मत चुगताई के बारे में सआदत ने बताया कि इस्मत एक अत्यधिक जिद्दी महिला थी। वे अक्सर सबसे सरलतम चीजों के बारे में भी तर्क किया करती थीं और उनकी बहस देर रात तक, मध्यरात्रि के बाद तक चलती रहती थी। मंटो ने बताया कि वे हमेशा बच्चों की तरह [...]

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इस स्वतंत्रता दिवस पर अच्छे नागरिक कैसे बनें

अरस्तू ने एक बार कहा था, “एक अच्छा आदमी और एक अच्छा नागरिक होना हमेशा एक ही बात नहीं है”। ये कथन अस्पष्ट हैः जो तोड़ा-मरोड़ा और कई बार फिर से बनाया गया है। 15 अगस्त 1947 का वह दिन था जब इंडिया-भारत-हिंदुस्तान आधिकारिक तौर पर एक स्वतंत्र राष्ट्र और उसी के साथ दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र बन गया। लोकतंत्र शासन वह शासन है जिसमें शासन जनता का, जनता के लिए और जनता द्वारा [...]

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