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भारत के विभिन्न हिस्सों में रक्षाबंधन का महत्व

August 8, 2017


Raksha-Bandhan-Celebration-Across-India-hindiरक्षा बंधन भाई और बहन के बीच भावनात्मक प्यार का बंधन और भाई द्वारा बहन की सुरक्षा का वादा है। रक्षा बंधन (राखी) भारत के सबसे प्रिय त्यौहारों में से एक है, सभी भाइयों और बहनों को रक्षा बंधन का उत्सुकता से इंतजार रहता है। रक्षा बंधन को श्रावण (हिंदू कैलेंडर का 5 वाँ महीना) महीने के दौरान पहली पूर्णिमा (पूरे चाँद वाली रात) के दिन मनाया जाता है। इस त्यौहार का देश के विभिन्न हिस्सों में अपना एक विशेष महत्व और अलग अर्थ है।

पश्चिमी समुद्र तटीय क्षेत्र – गुजरात, महाराष्ट्र, गोवा में नारियल पूर्णिमा

पश्चिमी समुद्र तटीय निवासियों खासकर मछुआरों (जो अपनी आजीविका के लिए मुख्य रूप से समुद्र पर निर्भर करते हैं) के लिए यह त्यौहार काफी महत्वपूर्ण है। राखी पूर्णिमा वह समय होता है जब मानसून वापस जाने लगते हैं और भयंकर समुद्र शांत हो जाते है। मछली पकड़ने का नया सीजन शुरू होता है और मछुआरे भगवान वरुण (हिन्दुओं के वर्षा के देवता) को धन्यवाद देने के लिए समुद्र में नारियल प्रवाहित करते हैं।

गुजरात – पवित्रोपना

इस शुभ दिन पर गुजराती लोगों के द्वारा भगवान शिव की पूजा की जाती है। मान्यताओं के अनुसार जो कोई इस दिन भगवान शिव की पूजा करता है उसको सारे पापों से मुक्ति मिल जाती है। पवित्रोपना पवित्रस से मिलकर बना है जिसे पाँच चीजों, गाय से प्राप्त पाँच उत्पादों घी, दूध, दही, गोबर और मूत्र (जिन्हें पंचगेव्य कहा जाता है) में भीगे हुए कपास और कास घास के एक साथ गूँथें हुए कुछ रेशों, से बनाया जाता है। फिर इस धागे को शिवलिंग के चारों ओर बाँधा जाता है।

पश्चिम बंगाल और ओडिशा सहित पूर्वी भाग – झूलन पूर्णिमा

झूलन यात्रा के नाम से जाना जाने वाला यह त्यौहार राधा और कृष्ण के बीच प्रेम (रास लीलाओं) के लिए मनाया जाता है। इसमें गाने बजाने के साथ नृत्य (डांस) होता है और सुंदरता से सजाए गये झूलों का एक सप्ताह तक शानदार प्रदर्शन किया जाता है। यह त्यौहार बहुत महत्वपूर्ण है, विशेषकर वैष्णव लोगों के लिए।

भारत के दक्षिणी भाग – अवनी अविट्टम

दक्षिण भारत में राखी पूर्णिमा को अवनी अविट्टम ​​के रूप में मनाया जाता है। इस दिन ब्राह्मणों द्वारा एक पवित्र धागे का निर्माण किया जाता है जिसे जनेऊ कहा जाता है जिसे वे एक पवित्र डुबकी लगाने के बाद ग्रहण (पहनते) करते हैं। जनेऊ को धारण करना प्रायश्चितम् का प्रतीक होता है, इसमें पिछले सभी पापों के प्रायश्चित का महासंकल्प, भलाई, ताकत और गरिमा का जीवन जीने की प्रतिज्ञा ली जाती है। इसी दिन विद्वान यजुर्वेद का अध्ययन करना भी प्रारंभ करते हैं।

मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और उत्तर प्रदेश सहित केंद्रीय क्षेत्र – काजारी पूर्णिमा

यह त्यौहार किसानों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि गेहूं और जौ के बोने का मौसम शुरू होता है। परंपरा के अनुसार, केवल वे महिलाएं जिन्होंने बेटे को जन्म दिया हो, वे त्यौहार के अनुष्ठान का पालन कर सकती हैं। वे पत्तियों से बने कप में मिट्टी जमाती हैं जिसे घर में एक अंधेरे कमरे में रखा जाता है और एक तालाब या नदी में प्रवाह करने से पहले सात दिन तक इसकी पूजा की जाती है। परिवार की भलाई और अच्छी फसल के लिए देवी भगवती की प्रार्थना की जाती है।

भारत में राखी पूर्णिमा के अवसर पर अन्य समारोह

  • जम्मू रंगीन पतंगों को उड़ाकर इस त्यौहार का जश्न मनाता है।
  • उत्तराखंड में पुराने जनेऊ को बदलकर एक नया जनेऊ धारण किया जाता है।

एक दिलचस्प तथ्य

तमिलनाडु और दक्षिण भारत के अन्य हिस्सों में, जनवरी में पोंगल के दौरान कानू पिडी का जश्न मनाया जाता है जब बहनें अपने भाइयों की भलाई के लिए प्रार्थना करती हैं।

राखी उत्सव

रक्षा बंधन के दिन, बहनें अपने भाइयों की कलाई पर पारंपरिक पवित्र धागा (राखी) बांधती हैं और उनके लंबे जीवन और भलाई के लिए प्रार्थना करती हैं।जबकि भाई अपनी बहनों को किसी भी नुकसान से बचाने का वादा करते हैं। यह त्यौहार मिठाई, दावत, आनन्द और उल्लास से पूरे परिवार के साथ मिलकर मनाया जाता है।

जबकि भारत के विभिन्न क्षेत्रों में राखी पूर्णिमा का एक विशेष महत्व है, इस दिन पूरा देश भाई और बहन के बीच भावनात्मक प्रेम और बंधन का उत्सव मनाता है। समय के साथ-साथ रक्षा बंधन भी विकसित हुआ है और अब बहनें भी एक दूसरे को राखी बांधती हैं। त्यौहार जीवन के उत्सव हैं। यह एक ऐसा समय होता है जब परिवार एक साथ संगठित होते हैं। हमारे सभी पाठकों को रक्षा बंधन की बधाई एवं हार्दिक शुभकामनाएं !

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