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शिक्षक दिवस पर एक बहुत अच्छा निबंध

September 1, 2016


शिक्षक दिवस Sept 5

शिक्षक दिवस Sept 5

शिक्षक दिवस पर एक बहुत अच्छा निबंध लिखने के लिए उसमें कई पहलू पर बात होना आवश्यक है, मसलन- शिक्षक दिवस क्यों मनाया जाता है, हर छात्र के जीवन में इस दिन का क्या महत्व है, एक शिक्षक माता-पिता से किस तरह अलग होता है, शिक्षक को अलग-अलग क्षमता वाले छात्रों को कोई भी बात सिखाने में किस-किस तरह की चुनौती का सामना करना पड़ता है, एक छात्र किस तरह शिक्षक के योगदान को समझकर उसके अनुसार प्रतिक्रिया व्यक्त कर सकता है और इसके साथ ही आपके स्कूल में शिक्षक दिवस कैसे मनाया जाए।

इसके अलावा, शिक्षक दिवस पर शिक्षकों को क्या उपहार दिया जाना चाहिए? प्रतिष्ठित हस्तियों ने शिक्षकों के योगदान पर क्या बोला है, उसे भी अपने निबंध में शामिल किया जा सकता है।
याद रहे, इस लेख का उद्देश्य छात्रों को एक रेडीमेड निबंध देने का नहीं है। यह एक टेम्पलेट या स्ट्रक्चर है, जिसके आधार पर छात्र अपने शब्दों में एक बहुत अच्छा निबंध लिख सकते हैं-
निबंध में एक उद्देश्य का साफ होना जरूरी है। इसे निबंध की प्रस्तावना में ही शामिल करना चाहिए। हर छात्र को अपने शब्दों में निबंध लिखने की कोशिश करनी चाहिए ताकि उसमें उनके मूल विचारों की झलक नजर आए। इसके लिए विषय के प्रति इमानदार रहने की जरूरत है। उसके बारे में रिसर्च करनी होगी। इतना पढ़ने के बाद उस विषय पर अपनी समझ को अपने शब्दों में गढ़ना होगा। यह ध्यान रहे कि आपको निबंध के आखिर में अपने शिक्षक के प्रति वचन होना चाहिए। उसमें शिक्षक की अपेक्षाओं और उनके बताए रास्तों पर खरे उतरने के साथ ही आदर्श छात्र और नागरिक बनने की बात होना चाहिए।

शिक्षक दिवस पर एक अच्छे निबंध में निम्न विषयों से जुड़ी सामग्री होनी चाहिए। इससे आपको एक प्रभावी निबंध लिखने में मदद मिलेगीः

शिक्षक दिवस क्या है और यह क्यों मनाया जाता है?
जिंदगी के बारे में हमारी समझ विकसित करने में माता-पिता के बाद सबसे महत्वपूर्ण भूमिका शिक्षकों की ही होती है। वह ही हमें बताते हैं कि अपने ज्ञान के आधार पर आने वाली पीढ़ी के लिए बेहतर दुनिया का निर्माण कैसे कर सकते हैं।
शिक्षक हमारे दोस्त, मार्गदर्शक और पथ-प्रदर्शक होते हैं। खासकर स्कूल में हमारी बढ़ती उम्र और किशोरावस्था से युवा होने तक की अवधि में। शिक्षक ही होते हैं, जो हमें उच्च स्तरीय ज्ञान देते हैं। खासकर उस समय जब हम युवावस्था या वयस्क होने के पड़ाव पर होते हैं। वे हमें ऐसा बनाते हैं कि हम अपने आसपास की दुनिया में अपनी ओर से कोई योगदान देने की स्थिति में आ सके। हमारी पढ़ाई-लिखाई के दौरान जो भी हम सीखते हैं, उसका इस्तेमाल समाज और राष्ट्र की बेहतरी के लिए करना सिखाते हैं।
ऐसी स्थिति में यह बेहद जरूरी है कि हम अपने शुरुआती पढ़ाई के दौरान ही शिक्षकों की भूमिका को समझ सके और शिक्षक दिवस ही वह तरीका है जब भारत में सभी छात्र अपने शिक्षकों के योगदान का जश्न मनाते हैं।

5 सितंबर को शिक्षक दिवस के रूप में क्यों चुना गया?

5 सितंबर को डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्मदिन है। डॉ. राधाकृष्णन पहले उप-राष्ट्रपति थे और फिर देश के राष्ट्रपति बने। डॉ. राधाकृष्णन शुरुआत में शिक्षक थे। उनका मानना था कि शिक्षकों की एक मजबूत राष्ट्र के निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान है।

5 सितंबर 1888 में तिरुत्तनी में डॉ. राधाकृष्णन का जन्म हुआ। तिरुत्तनी उस समय मद्रास प्रेसिडेंसी में आता था। डॉ. राधाकृष्णन ने मद्रास क्रिश्चियन कॉलेज के पूर्व छात्र हैं। उन्होंने वहां से 1906 में मास्टर ऑफ फिलोसॉफी की डिग्री ली थी। 1921 में, उन्हें फिलोसॉफी में प्रोफेसर नियुक्त किया गया। यूनिवर्सिटी ऑफ कलकत्ता में 1921 से 1932 तक वे किंग जॉर्ज पंचम चेयर ऑफ मेंटल एंड मॉरल साइंस रहे।

उन्होंने बाद वे ईस्टर्न रिलीजन एंड एथिक्स ऑफ द यूनिवर्सिटी ऑफ ऑक्सफोर्ड (1936-1954) स्प्लांडिंग प्रोफेसर रहे। धर्म और दर्शन में उनके योगदान के लिए उन्हें नाइटहुड (सर की पदवी) की उपाधि दी। इस उपाधि का उन्होंने भारत की आजादी के बाद इस्तेमाल करने से इनकार कर दी थी।

बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) में वे 1939 से 1948 तक कुलपति रहे। 1954 में उन्हें भारत का सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार- भारत रत्न से सम्मानित किया गया।
वे उपराष्ट्रपति बने और 1952 से 1962 तक उसी पद पर रहे। बाद में उन्होंने 1962 से 1967 तक डॉ. राजेंद्र प्रसाद के उत्तराधिकारी के तौर पर भारत के दूसरे राष्ट्रपति के तौर पर काम किया।
यह कहा जाता है कि जब वे भारत के राष्ट्रपति थे, कुछ पूर्व छात्रों और दोस्तों ने डॉ. राधाकृष्णन से अपना जन्मदिन मनाने का आग्रह किया। उस दिन 5 सितंबर था। विनम्रता दिखाते हुए उन्होंने कहा कि यह बेहतर होगा कि आप इस दिन को सभी शिक्षकों के योगदान के तौर पर मनाए। इसके बाद पांच सितंबर को भारत में शिक्षक दिवस के तौर पर मनाया जाने लगा।

डॉ. राधाकृष्णन की जिंदगी भर की तपस्या और शिक्षक के तौर पर शिक्षा के क्षेत्र में दिए योगदान को पूरे देश ने प्रतिसाद दिया। उसके बाद उनके जन्मदिन पर उनके और उनके साथ ही तमाम शिक्षक समुदाय के योगदान को याद किया जाने लगा। शिक्षक दिवस मनाया जाने लगा।

शिक्षक बनाम माता-पिता की भूमिका

हमारी जिंदगी में पहले शिक्षक होते हैं हमारे माता-पिता। हमारे जन्म लेने के दिन से ही वे हमें जिंदगी के महत्वपूर्ण सबक सिखाने लगते हैं। आखिर सीखना-सिखाना जिंदगीभर चलने वाली प्रक्रिया है।

हालांकि, एक बार स्कूल शुरू होने के बाद शिक्षक की भूमिका महत्वपूर्ण हो जाती है। छात्र अपने शिक्षक से ज्ञान, मार्गदर्शन और प्रोत्साहन लेते हैं।
एक शिक्षक यह भली-भांति समझता है कि हर बच्चे का विकास बेहद जरूरी है। वह उस भरोसे और जिम्मेदारी को भी समझता है, जो हर माता-पिता ने उस पर किया है।
शिक्षक की भूमिका बच्चे के बड़े होने के बाद और बढ़ती जाती है। प्राइमरी स्कूल में शिक्षक को वैकल्पिक माता-पिता की भूमिका रहती है। उन्हें बच्चे को समझना होता है। उसका बहुत ध्यान रखना होता है। इस दौरान बच्चा घर से ज्यादा वक्त स्कूल में बिताने लगता है। ऐसे में वह अन्य बच्चों और बातचीत के जरिए काफी कुछ सीखता है।
माध्यमिक स्कूल के वर्षों में, शिक्षक महत्वपूर्ण सबक देता है। वह शैक्षणिक के साथ ही नैतिक मूल्य भी उसे सिखाता है।
हाईस्कूल के वर्षों में, शिक्षक बच्चों को बच्चा नहीं समझते बल्कि उन्हें बड़े होते हुए किशोरों के तौर पर देखते हैं। उन्हें उनके जीवन के अगले पड़ाव के लिए तैयार करते हैं।
माता-पिता हमेशा से हमारे पहले और आखिरी शिक्षक रहे हैं, लेकिन स्कूल के शिक्षकों का हमारे जीवन पर पड़ने वाला अनुभव अनमोल है। हमें इसे न केवल महसूस करना चाहिए बल्कि हमारे पूरे जीवनभर उनके प्रति कृतज्ञ रहना चाहिए।

एक शिक्षक के सामने आने वाली चुनौतियां

अलग-अलग सामाजिक, सांस्कृतिक, आर्थिक और धार्मिक पृष्ठभूमि से आने वाले छात्रों को एक साथ संबोधित करना या संभालना आसान नहीं है। इतना ही नहीं, सबसे बड़ी चुनौती होती है सीखने और समझने की क्षमता। जो हर बच्चे में अलग होती है। ऐसे में शिक्षक को समय और कोर्स के मापदंडों के दायरे में रहते हुए शैक्षणिक पाठ्यक्रम पर ध्यान देना होता है। उसके मुताबिक अपने आपको ढालना होता है।

एक शिक्षक, फिर चाहे वह पुरुष हो या महिला, पर घर की जिम्मेदारियां भी होती है और उस पर भी उतना ही दबाव होता है, जितना हमारे माता-पिता पर हमारे घरों में होता है। इसके बाद भी शिक्षक को हर सुबह कक्षा शुरू होने से पहले उत्साहित और ताजगी से भरे नजर आना होता है।

लेकिन शिक्षक की उस पहली मुस्कान से पहले भी तो एक आदमी ही है, जो व्यक्तिगत और पेशेवर चुनौतियों का सामना करता है। इसके बाद भी कक्षा में रहते समय उसकी शिक्षण प्रक्रिया पर कोई असर नहीं होने देता। यह स्कूल में रहते हुए बच्चे नहीं महसूस कर पाते, लेकिन जब वे समय के साथ परिपक्व होते हैं तो खुद-ब-खुद ही इसका महत्व समझ जाते हैं।

शिक्षक दिवस- आपके शिक्षक के योगदान को महसूस करने और जताने का दिन

शिक्षक हमें शिक्षा और ज्ञान के जरिए बेहतर व्यक्ति बनने के लिए तैयार करता है। शिक्षक की कोशिशों और योगदान को पहचानने का ही दिन है शिक्षक दिवस। छात्रों को यह महसूस होना चाहिए और शिक्षक दिवस ही उन्हें यह मौका देता है। यह वह दिन है जब छात्र अपने शिक्षकों के सामने वचन लेता है कि उनकी कोशिशों को व्यर्थ नहीं जाने देंगे। हमें यह भी वचन देना होगा कि उन्होंने जो भी हमें सकारात्मक मूल्य सिखाए हैं, हम उनका सदैव पालन करेंगे।

एक शिक्षक के लिए सबसे बड़ा पुरस्कार वह होता है, जब उसका छात्र आदर्श नागरिक बनकर उभरता है। जिंदगी के बाद के पड़ाव में जिस भी क्षेत्र को चुनता है, उसमें ऊंचाई हासिल करता है। हालांकि, यह एक दिन ऐसा है जब शिक्षक को भी लगता है कि उसे प्यार मिलना चाहिए। उसे छात्रों से सम्मान और प्रोत्साहन मिलना चाहिए। इस वजह से छात्र यदि एक दिन अतिरिक्त मेहनत करते हुए शिक्षक को खास महसूस कराते हैं तो उसका स्वागत होना चाहिए।

जब एक छात्र खुद ही एक दिन शिक्षक बनता है

शिक्षक दिवस पर भूमिकाएं बदल जाती है। स्कूल के सीनियर बच्चे शिक्षकों की भूमिका निभाते हैं और एक दिन के लिए स्कूल संभालते हैं। यह एक दिन होता है, जब शिक्षक अपनी सीट पर बैठकर छात्रों को शिक्षकों की जिम्मेदारी का अनुभव करने देते हैं। ताकि उन्हें पता चले कि शिक्षकों पर रोजाना कितना दबाव रहता है। सीनियर छात्र को जूनियर कक्षाओं में पढ़ाने को कहा जाता है।

एक छात्र को जीवनभर यह दिन याद रहता है। इस दिन उसने क्या जिम्मेदारी संभाली थी और किस तरह कुछ खास काम अपने हाथ में लिया था, वह बरसो तक उसे याद रहता है। जब पूर्व-छात्रों का सम्मेलन होता है और उनके बीच इसी दिन की चर्चा होती है। ऐसे में आप भी इस दिन को अच्छे-से प्लान कीजिए और पूरा कार्यक्रम तय कीजिए।

शिक्षक दिवस पर उपहार में क्या दें

छात्र शिक्षक दिवस पर अपने पसंदीदा शिक्षकों के लिए खास उपहार लाना पसंद करते हैं। वे अपने शिक्षक को अपनी ओर से सम्मान व्यक्त करते हैं। आज इंटरनेट के इस युग में, उपहार में क्या दिया जाए और क्या नहीं, इसके लिए सैकड़ों लेख मिल जाएंगे। हालांकि, यह ध्यान में रखने की जरूरत है कि एक शिक्षक को इस बात से फर्क नहीं पड़ता कि आपका उपहार कितना महंगा है, बल्कि आप एक शिक्षक के तौर पर जो कोशिश करते हैं, वह उन्हें ज्यादा अच्छा लगता है।

शिक्षक हमेशा हाथों से बने उपहार को पसंद करते हैं। फिर चाहे वह कार्ड हो या पेपर से बनी कोई वस्तु। उन्हें ऐसा सामान अच्छा लगता है, जो निश्चित समय के लिए न हो। आप कप दे सकते हैं और सोविनियर भी, जिस पर आपके शिक्षक का नाम या चित्र हो। साथ ही उस पर आपका, आपकी कक्षा और वर्ष का जिक्र हो।

बेहतर होगा यदि आप उसके साथ एक छोटा-सा ‘थैंक यू’ संदेश भी दे। जिसमें शिक्षक दिवस और तारीख का जिक्र हो। इस तरह शिक्षक अपने उपहार को सुरक्षित रख सकते हैं। इससे शिक्षक को आपके नाम के साथ ही आप किस बैच में पढ़े थे, यह याद करने में आसानी होगी। याद रखिए उसे कम खर्चीला और सरल ही रखें। शिक्षक आपके उपहार में आपकी भावनाएं देखेगा, उसकी कीमत नहीं।

शिक्षकों के महत्व और योगदान को बताने वाली कुछ प्रसिद्ध उक्तियां

“शिक्षकों को छात्रों में पूछने, सृजनात्मकता, उद्यमिता और नैतिक नेतृत्व की क्षमता विकसित करनी चाहिए और उनका रोल मॉडल खुद बनना चाहिए।” – एपीजे अब्दुल कलाम
“औसत दर्जे का शिक्षक बताता है। अच्छा शिक्षक समझाता है। उससे अच्छा शिक्षक करके दिखाता है। महान शिक्षक प्रेरित करते हैं।” ― विलियम आर्थर वार्ड
“दो तरह के शिक्षक होते हैं: एक आपमें इतना डर भर देता है कि आप हिल ही नहीं पाते और दूसरा जो आपको थोड़ा-सा उकसाता है तो आप आसमान में उछल पड़ते हैं।” ― रॉबर्ट फ्रॉस्ट
“वे आपको प्रेरित करते हैं। आप पर ध्यान देते हैं और आपको जाने-अनजाने ही काफी कुछ सिखा भी जाते हैं।” ― निकोलस स्पार्क्स, डियर जॉन
“मैं अपनी जिंदगी के लिए पिता का ऋणी हूं, लेकिन जीवन जीने की इस अच्छी शैली के लिए शिक्षक का।” ― एलेक्जेंडर द ग्रेट। उनका शिक्षक एक महान दार्शनिक था। – अरस्तू
“पढ़ाना भगवान को याद करने की तरह है। और मुझे हमेशा लगता है कि शिक्षक अपने काम में एक पवित्र आत्मा जैसे होते हैं, जो बच्चों के समुदाय को अंधेरे से बाहर निकालते हैं।” ― जीनेट वॉल्स, हाफ ब्रोक हॉर्सेस
“जो बच्चों को शिक्षित करते हैं, उनका सम्मान उन्हें पैदा करने वाले माता-पिता से ज्यादा होता है। यह शिक्षक ही उन्हें जीने की कला सिखाते हैं।” – अरस्तू
“सपना एक शिक्षक से ही शुरू होता है, जिसे आप पर भरोसा होता है। वह आपको धकेलता है और आगे लेकर जाता है। कभी-कभी वह सच के चाबुक मारकर भी आपको रास्ते पर लाने की कोशिश करते हैं।” – डेर रादर

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