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विटामिन की कमी – भारतीय स्वास्थ्य और पोषण पर संकट

July 17, 2017


why-are-vitamins-necessary-in-the-diet-hindiभारत उगते हुए सूरज की तरह है, और यह एक ऐसा देश है जिसने अपनी क्षमता और विकास का प्रदर्शन शुरू कर दिया है। हालांकि, हमारे देश और इसके लोगों को एक संकट का सामना करना पड़ रहा है, जिसपर हमें किसी भी मामले में आगे बढ़ने से पहले ध्यान देना होगा। ग्लोबल हंगर इंडेक्स (जीएचआई) द्वारा 2016 में जारी एक रिपोर्ट में बताया गया कि पाँच साल की उम्र के लगभग 38.7 प्रतिशत भारतीय बच्चे कुपोषण और अवरुद्ध विकास का सामना कर रहे हैं।

कुपोषण की बदलती स्थिति

परंपरागत रूप से, भोजन में गुणवत्ता की कमी को गरीबी और लघुपोषण से जोड़  दिया गया है। हालांकि भारत की आजादी के प्रारंभिक वर्षों के बाद यह वह दृश्य है जिसमें हम कुपोषण को समझ रहे हैं। हालांकि आज भोजन की गुणवत्ता में कमी हमारे देश के लिए एक बड़ी चुनौती है। इसका गरीबी के साथ कोई संबंध नहीं है। सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी के कारण विटामिन की कमी कुपोषण का एक प्रमुख कारण है। विटामिन कार्बनिक यौगिक होते हैं जो उचित पोषण का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं और सामान्य वृद्धि के लिए भी ये आवश्यक हैं। शरीर के लिए बहुत कम मात्रा में विटामिनों की आवश्यकता होती है जो छोटे पौधों या पशुओ से प्राप्त की जाती है, क्योंकि विटामिनों को मानव शरीर के द्वारा संश्लेषित नहीं किया जा सकता है। विटामिन शरीर को रोग प्रतिरोधक क्षमता प्रदान करते हैं इसलिये इनका हमारे भोजन में  एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।

विटामिनों के प्रकार

स्वस्थ जीवन के लिए कुल 13 प्रकार के विटामिनों की आवश्यकता होती है। पोषण विशेषज्ञ शरीर के द्वारा इनके अवशोषण के लिए उपयोग किये गये माध्यम के आधार पर विटामिनों का वर्गीकरण करते हैं।

विटामिनों का वर्गीकरण –

  • वसा में घुलनशील विटामिन
  • जल में घुलनशील विटामिन

वसा में घुलनशील विटामिन –

  • बड़े पैमाने पर, विटामिन ए नारंगी रंग के फलों और सब्जियों जैसे कि गाजर,कददू, मीठे आलू और हरे पत्तेदार साग से उत्पन्न होता है।
  • धूप द्वारा शरीर में विटामिन-डी का संश्लेषण किया जा सकता है। यह डिब्बा बंद दूध और डेयरी उत्पादों में भी पाया जाता है।
  • विटामिन ई पत्तेदार हरी सब्जियों जैसे कि पालक, बीजों जैसे मूंगफली और बादाम में पाया जाता है। यह अन्य स्रोतों जैसे कि चिंराट और एवोकैडो में भी पाया जाता है।
  • विटामिन के, हरी पत्तेदार सब्जियों जैसे कि पालक, सरसों का साग, अजवाइन, गोभी और सलाद से प्राप्त होता है। ब्रोकोली और फूलगोभी जैसी कुछ सब्जियाँ भी इसके अच्छे स्रोत हैं।

पानी में घुलनशील विटामिन-

  • विटामिन बी 1 या थियामीन युक्त खाद्य पदार्थों में कलेजी, बीफ, सुअर का मांस, हिल्सा मछली, बीज (जैसे कि सूरजमुखी के बीज, तिल) मटर, मशरूम और पास्ता में पाया जाता है।
  • बड़े पैमाने पर विटामिन बी 2 या रिबोफैक्विन डेयरी उत्पादों (दही, पनीर) और बीफ कलेजी, भेड़, बादाम और पालक से प्राप्त होता है।
  • विटामिन बी 3 या नियासिन टर्की, बिना हड्डी का मांस, ट्यूना मछली, मशरूम और मटर, मूंगफली और सूरजमुखी के बीज जैसे खाद्य पदार्थों में पाया जाता है।
  • विटामिन बी 5 या पैंटोफेनीक एसिड मांस और मुर्गा (चिकन कलेजी), साल्मन मछली, सुगंधित टमाटर और अन्य खाद्य पदार्थों के बीच एवोकैडो में पाया जाता है।
  • विटामिन बी 6 या पायराइडोसिन को सोया उत्पादों, टर्की, पिस्ता, ट्यूना मछली, तिल और सूरजमुखी के बीज, गुड़ जैसे खाद्य पदार्थों में पाया जाता है।
  • विटामिन बी 7 या बायोटिन आर्गन माँस (चिकन कलेजी), अंडे की जर्दी, खमीर, सोयाबीन एवं अन्य बीज और पालक से प्राप्त होता है।
  • विटामिन बी 9 या फोलिक एसिड मुख्य रूप से पालक और फलियों (सभी तरह की दालों) और चना (काबुली चना) पिंटो बीन्स, राजमा तथा खाद्य पदार्थों और पत्तेदार सब्जियों में पाया जाता है।
  • विटामिन बी 12 मछली, बत्तख, माँस और डेयरी उत्पादों से आता है यह पौधों में नहीं पाया जा सकता। बीफ, मछलियों (सार्डिन, सैल्मन, मैकेरल), मेमने, कॉटेज पनीर) फेटा पनीर और अंडे विटामिन बी 12 के अच्छे स्रोत हैं।
  • विटामिन सी, खट्टे फल और रस (नींबू, नारंगी और मीठे चूने या मौसमी) से प्राप्त होता है।

भारत के विटामिन संकट

पिछले साल किए गए एक शोध के अनुसार, लगभग 75 प्रतिशत भारतीय विटामिन डी, विटामिन बी 12 और विटामिन बी 9 (फोलिक एसिड) की कमी से पीड़ित हैं। ये खतरनाक आँकड़े हैं।

विटामिन डी की कमी देश में महामारी के अनुपात तक पहुंच रही है। विटामिन डी की कमी कैल्शियम के अवशोषण के साथ हस्तक्षेप करती है जो स्वस्थ हड्डियों के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है। विटामिन डी की कमी से सूखा रोग, ऑस्टियोपोरोसिस, डायबिटीज, हृदय रोग और कैंसर जैसी बीमारियों हो जाती हैं। सूर्य के प्रकाश की उपस्थिति में शरीर को संश्लेषण करने में सक्षम होने के बाद से इसे सनशाइन विटामिन भी कहा जाता है। अब उष्णकटिबंधीय धूप के बावजूद, लगभग 70 प्रतिशत भारतीयों में विटामिन डी की कमी पाई गई है। विटामिन बी 12 या बी 9 की कमी के कारण मेगालोब्लास्टिक एनीमिया हो सकती है। बी 12 और बी 9 की कमी भी भारत में चिंताजनक विषय है।

फास्ट फूड की खपत में वृद्धि, डिब्बाबंद भोजन की खपत में बढ़ोतरी, ताजी सब्जियों और फलों के सेवन में कमी, स्थिर जीवन शैली में वृद्धि ऐसे विटामिन की कमी के कारण हो रहे हैं। इस संकट को दूर करने के लिए सरकारी एजेंसियों द्वारा लोगों के प्रति जागरूकता तथा कार्रवाई बहुत आवश्यक है।