भारत का 70वां स्वतंत्रता दिवस समारोह 2016
15 अगस्त को भारत 70वां स्वतंत्रता दिवस समारोह मनाने जा रहा है। इस साल, स्वतंत्रता दिवस समारोह अलग भी होगा और बहुत खास भी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 19 जुलाई को आयोजित अपनी पार्टी की संसदीय दल की बैठक में अपने पार्टी सहयोगियों से स्वतंत्रता दिवस समारोह को खास बनाने की इच्छा बताई।
स्वतंत्रता दिवस समारोह के दौरान राष्ट्रीय राजधानी में इंडिया गेट के पास राजपथ पर पहली बार 12 अगस्त से छह दिन चलने वाला ‘भारत पर्व’ मनाया जाए।
भारत पर्व के अलावा, देशभर में 15-22 अगस्त तक ‘तिरंगा यात्राएं’ निकाली जाएंगी। इन दोनों ही कार्यक्रमों का उद्देश्य अन्य राज्यों को भी इस समारोह में शामिल करना है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि यह त्योहार लोगों का है। इस प्रोग्राम के जरिए उनमें राष्ट्रभक्ति और देश के प्रति गर्व की भावना का संचार हो सके।
भारत पर्व, 12-17 अगस्त, का उद्घाटन 12 अगस्त को शाम पांच बजे प्रधान मंत्री करेंगे। सशस्त्र सेनाओं की ओर से इस दौरान संगीतमय कार्यक्रम प्रस्तुत किया जाएगा। इस दौरान ऐतिहासिक इंडिया गेट तिरंगे की रौशनी से जगमगाएगा।
छह दिवसीय कार्यक्रम का आयोजन पर्यटन मंत्रालय कर रहा है। इसमें कपड़ा, संस्कृति और रक्षा मंत्रालय की भी सहभागिता रहेगी। इस समारोह को व्यापक सफल बनाने के लिए सभी लोगों से आग्रह किया गया है।
दो से ढाई महीने पहले, एनडीए सरकार ने इसी जगह पर सत्ता में दो साल पूरे होने का जश्न मनाया था। इस बार, हालांकि, राज्यों की ओर से क्षेत्रीय पकवानों के साथ ही लोक कलाएं, हस्तशिल्प और संस्कृति की नुमाइश रहेगी।
पूरे भारत से 100 फूड स्टॉल्स लगाई जाएंगी। एक ही जगह पर पूरे भारत के चटखारे उपलब्ध कराने की कोशिश की जारही है। भारत पर्व को प्रमुख पर्यटन आकर्षण के तौर पर प्रचारित किया जाएगा।
समझा जाता है कि तमिल नाडु, गुजरात, पंजाब, असम, राजस्थान, आंध्र प्रदेश, केरल, मध्य प्रदेश, नगालैंड, ओडिशा और उत्तर प्रदेश अपनी लोक कलाओं, संस्कृति और हस्तशिल्प की नुमाइश के लिए इस समारोह में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेंगे।
रक्षा बलों ने ने भी अपनी सैन्य उपलब्धियों के साथ-साथ ब्रास बैंड्स की रेंज प्रस्तुत करने का फैसला किया है।
15-22 अगस्त के बीच देशभर में तिरंगा यात्राएं निकाली जाएंगी। देश के सभी नागरिकों में राष्ट्रभक्ति और गर्व की अनुभूति कराई जाएगी।
प्रधानमंत्री की इस बात के लिए तारीफ करनी होगी कि वे हर मौके को भव्य समारोह में तब्दील कर देते हैं। भारत और विदेशों में उस कार्यक्रम पर पूरा ध्यान खींचते हैं।
मोदी ने अपने हर विदेश दौरे पर इस ‘शोमैनशिप’ को प्रस्तुत किया है। यह दौरे अब उनकी पहचान बन चुके हैं। उन्होंने बार-बार यह दिखाया है कि कैसे एक मौके को भव्य समारोह में तब्दील करते हुए उसका ज्यादा से ज्यादा लाभ उठाया जा सकता है।
जब से लाल किले की प्राचीर से पहला भाषण दिया है, तब से पीएम मोदी ने इस इवेंट को खास बना दिया है। इस बार उन्होंने लोगों को सिर्फ समारोह में उन्हें देखने के बजाय सीधे-सीधे जोड़ने पर ध्यान दिया है।
भारत पर्व को प्रमुख घरेलू और अंतरराष्ट्रीय पर्यटन आकर्षण के तौर पर विकसित किया जा सकता है। धीरे-धीरे गैर-पर्यटक मौसम में यह इवेंट बड़ा आकर्षण भी बन सकती है। यदि सफल रही तो इससे पर्यटन को बढ़ाने में मदद मिलेगी। सरकारें भी इसी की तलाश में तो हैं।
15 अगस्त का महत्व
1947 में 15 अगस्त की आधी रात को भारत ने ब्रिटिश शासन से मुक्ति पाई थी। भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने इसी दिन ऑल इंडिया रेडियो पर अपनी प्रसिद्ध ‘ट्रिस्ट विथ डेस्टिनी’ वाला भाषण दिया था।
वह जादुई रात कई वर्षों तक आंखों में पानी लाने वाली। खासकर उन लोगों की आंखों में जो उस काल में जन्में या जिए। आज भी, दिनभर प्रसारित होने वाले राष्ट्रभक्ति गीतों में कुछ आंखों से आंसू निकालने की ताकत होती है। यह राष्ट्रभक्ति की गहरी भावना जगाने और सभी भारतीयों को गर्व की अनुभूति देने में महत्वपूर्ण है।
इसके अलावा लाल किले पर प्रधानमंत्री राष्ट्र ध्वज फहराते हैं। राज्यपाल अपने-अपने राज्यों में इसी काम को अंजाम देते हैं। इस दौरान देश की आजादी के लिए लड़े हमारे नेताओं और लोगों के बलिदान को याद किया जाता है।
स्कूलों में ध्वजरोहण गतिविधियां होती हैं। इसके बाद राष्ट्रभक्ति से ओत-प्रोत गीतों और भाषणों का कार्यक्रम होता है। मिठाइयां बंटती हैं। इसी तरह के समारोह अब देशभर में रिहायशी कॉलोनियों और सोसाइटियों में होते हैं।
किसी भी देश के लिए, उसके भविष्य के सफर पर इतिहास का असर साफ झलकता है। इस वजह से यह जरूरी है कि मौजूदा पीढ़ी को पूर्वजों के बलिदान की जानकारी हो। उसके प्रति आदर हो। ऐसे में इस दिन से बेहतर क्या हो सकता है, जब उन्हें बताया जाए कि स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों ने किन-किन परेशानियों का सामना किया और देश को आजाद कराया।
मौजूदा पीढ़ी के लिए यह दिन काफी महत्वपूर्ण है। ताकि वह इतिहास से मिले सबकों पर चर्चा कर सके। ताकि एक देश के तौर पर हम पुरानी गलतियों को न दोहराएं।
15 अगस्त का महत्व हमारे जीवन में और भी बढ़ गया है। देश को सीमाओं के भीतर और बाहर कई तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।
देश में सामाजिक, राजनीतिक और धार्मिक स्थिरता को लगातार खतरे पैदा हो रहे हैं। एक धर्मनिरपेक्ष, समग्र और लोकतांत्रिक भारत के मूल्यों के लिए लड़े गए स्वतंत्रता संग्राम से जो हमें मिला था, उस पर खतरे पैदा किए जा रहे हैं।
भारत पर्व और तिरंगा यात्रा सिर्फ आयोजन है। जब तक युवा हमारी आजादी के मूल्य को नहीं समझेंगे तब तक उसका कोई मतलब नहीं रह जाएगा।
यह अब आज के युवाओं की जिम्मेदारी हैं कि वे 1947 की उस जादुई रात की भावना को महसूस करें और स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के बताए रास्ते पर चलकर आगे बढ़े। यह सभी
भारतीयों के एकजुट होने का दिन है!
स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के मशहूर और प्रेरक वक्तव्य, नारे
वंदे मातरमः बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय
जय जवान, जय किसानः लाल बहादुर शास्त्री
जय हिंदः नेताजी सुभाष चंद्र बोस
स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है, और मैं इसे लेकर रहूंगाः काका बाप्टिस्टा और बाल गंगाधर तिलक ने इसका इस्तेमाल किया
सत्यमेव जयतेः पंडित मदन मोहन मालवीय ने इसे लोकप्रिय बनाया
इंकलाब जिंदाबादः मुस्लिम नेता हसरत मोहानी ने यह नारा दिया था, जो बाद में भगत सिंह के नाम का पर्याय बन गया
सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में हैं: बिस्मिल आजिमाबादी की राष्ट्रभक्ति से ओत-प्रोत कविता, जिसे रामप्रसाद बिस्मिल ने नारे के तौर पर इस्तेमाल किया
15 अगस्त 2016 के समारोह का कार्यक्रम
1- भारत के राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी, 14 अगस्त 2016 को शाम 7 बजे राष्ट्र को संबोधित करेंगे
2- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 15 अगस्त को लाल किले पर सुबह 7 बजे राष्ट्रध्वज फहराएंगे
3- इस अवसर पर राष्ट्रगान ‘जन गण मन’ का गायन होगा
4- लाल किले पर स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों को श्रद्धांजलि देने के लिए तोपों-बंदूकों से सलामी दी जाएगी
5- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सुबह 7.10 बजे राष्ट्र को संबोधित करेंगे
6- उनके भाषण के बाद मार्चिंग सेरेमनी, परेड सेरेमनी और क्लोजिंग सेरेमनी होगी।