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हल्दी: स्वास्थ्य लाभ, दुष्प्रभाव, प्रभावशीलता, उपयोग और खुराक

September 29, 2018
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हल्दी: स्वास्थ्य लाभ, दुष्प्रभाव, प्रभावशीलता, उपयोग और खुराक

सर्दी के इलाज से लेकर चोट लगने के इलाज तक हल्दी बच्चों के लिए अधिकतर माताओं का अंतिम उपाय रही है। चाहे ठंड के लक्षणों से निपटने के लिए दूध में एक चुटकी हल्दी मिलाना हो या घाव पर एक मरहम के रूप में इसे लगाना हो, हल्दी एक युगों पुराना उपाय रहा है।

बेशक हल्दी हर भारतीय रसोईघर में मसाले के डिब्बे का और हमारे जीवन का भी एक अनिवार्य हिस्सा है। सबसे शक्तिशाली मसाले के रूप में व्यापक रूप से स्वीकृत, पीले-नारंगी रंग की यह जड़ सभी स्थानों पर सभी स्वादिष्ट व्यंजनों में एक अनोखा स्वाद जोड़ने के लिए लोकप्रिय है। सदियों से  प्राचीन आयुर्वेद में हल्दी का उपयोग केवल भोजन में ही नहीं बल्कि दवाओं के रूप में भी शामिल है। यह लोगों के लिए कई स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं सुलझाने का एक बेहतर तरीका बन गया है। हल्दी में मुख्य यौगिक करक्यूमिन है जो न केवल इस मसाले को रंग प्रदान करता है बल्कि स्वास्थ्य लाभ के लिए भी जिम्मेदार है। हल्दी में एंटीऑक्सीडेंट, जीवाणुरोधी, एंटी-फंगल, एंटी-वायरल, एंटी-म्यूटेजेनिक, कैंसर विरोधी, और सूजननाशक आदि अनोखे उपचार गुण शामिल हैं।

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लेकिन यह भी कहा गया है कि सीमा से अधिक किसी भी चीज का उपयोग इसके लाभ को दुष्प्रभाव में बदल सकता है। इसलिए हमें हमेशा निर्धारित चीजों का उपयोग संयमपूर्वक करने के लिए सतर्क रहना चाहिए। यह लेख पाठकों को न केवल हल्दी के लाभों के बारे में बताएगा बल्कि इसके दुष्प्रभाव और खुराक की भी जानकारी देगा।

हल्दी के स्वास्थ्य लाभ

  1. गुर्दे का स्वास्थ्य सुधारती है: हल्दी का सूजननाशक गुण गुर्दे में सूजन को कम करता है। यह गुर्दे में रासायनिक तत्त्वों का असर कम करती है और मुक्त कणों को प्रभावहीन कर देती है।
  2. वजन घटाने में मदद करती है: वजन घटाने के तरीकों में हल्दी का उपयोग सहायक के रूप में किया जा सकता है। यह मोटापे से संबंधित सूजन को कम करने में मदद करती है। हल्दी में मौजूद करक्यूमिन तत्व शरीर में वसा निर्माण पर रोक लगाता है और एंटीऑक्सीडेंट स्तर बढ़ाता है।
  3. ऑस्टियोपोरोसिस (अस्थिसुषिरता) के लक्षणों को कम करने में मदद करती हैः ऑस्टियोपोरोसिस एक चिकित्सीय अवस्था है जिसमें हड्डियां कमजोर हो जाती हैं और टूटने का खतरा बढ़ जाता है। हल्दी हड्डियों में खनिज की क्षति होने से रोकती है और हड्डी घनत्व की सुरक्षा करती है। इसमें करक्यूमिन तत्व हड्डी उत्पादक कोशिकाओं को सक्रिय करता है।
  4. खून पतला करने वाली औषधि के रूप में हल्दीः हल्दी में मौजूद करक्यूमिन खून पतला करने का काम करता है। यह तत्व रक्त स्कंदन विरोधी (एंटी-कॉगुलेसन) गुण से भरपूर होता है, जो रक्त के थक्के बनने से रोकता है।
  5. हड्डी के उपचार में सहायकः करक्यूमिन तत्व उपलब्ध होने के कारण हल्दी हड्डी उपचार प्रक्रिया को सक्रिय करती है। करक्यूमिन नई हड्डियों के निर्माण को बढ़ावा देता है और पुरानी हड्डियों को नष्ट करने वाली कोशिकाओं के विकास को रोकता है।
  6. गठिया दर्द (अर्थराइटिस) की दवा: हल्दी में मौजूद सूजननाशक गुण गठिया (अर्थराइटिस) से उत्पन्न दर्द को कम करता है। इसके एंटीऑक्सिडेंट शरीर में कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाने के लिए जिम्मेदार मुक्त कणों को नष्ट करते हैं। गठिया (अर्थराइटिस) से पीड़ित व्यक्ति को गठिया (अर्थराइटिस) के दर्द से छुटकारा पाने के लिए अपने दैनिक भोजन में इस मसाले का इस्तेमाल करना चाहिए ।
  7. कोलेस्ट्रॉल को कम करती है: हल्दी में पाया जाने वाला करक्यूमिन एलडीएल (निम्न-घनत्व लिपोप्रोटीन) कोलेस्ट्रॉल और धमनियों पर इसके हानिकारक प्रभाव को नियंत्रित करता है। यह यकृत को कोलेस्ट्रॉल का उत्पादन करने से रोकता है और शरीर से एलडीएल कोलेस्ट्रॉल कम करने में यकृत की मदद करता है।
  8. कैंसर की रोकथाम: करक्यूमिन शरीर में कैंसर कोशिकाओं के विकास को रोकता है और कीमोथेरेपी के प्रभाव को भी बढ़ाता है।
  9. रक्तचाप को नियंत्रित रखती है: हल्दी में पाया जाने वाला करक्यूमिन एंटीऑक्सीडेंट रक्तचाप को नियंत्रित रखने में सहायक है। हल्दी का सूजननाशक गुण उच्च रक्तचाप को नियंत्रित रखता है।
  10. पाचन में सुधार करती हैः यदि आप पाचन विकार से पीड़ित हैं, तो कच्ची हल्दी का उपयोग इसका समाधान है। यह पित्त रस का उत्पादन करने और पाचन में सुधार करने के लिए पित्ताशय को सक्रिय करता है। यह मसाला गैस और सूजन के इलाज में भी प्रभावी है।
  11. मधुमेह पर नियंत्रणः हल्दी में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट और सूजननाशक गुण मधुमेह ग्रसित लोगों में मधुमेह टाइप 2 के संक्रमण को रोकते हैं। यह शरीर में इंसुलिन के स्तर को संतुलित करने में भी मदद करती है।
  12. प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करती है: हल्दी में मौजूद जीवाणुरोधी, फफूंदरोधी, और विषाणुरोधी गुण शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को सक्रिय करते हैं। रोजाना एक चुटकी हल्दी को एक गिलास दूध में मिलाकर पीना आपके प्रतिरक्षा तंत्र को आश्चर्यजनक लाभ प्रदान करेगा।
  13. यकृत में जहरीले पदार्थों को नष्ट करती हैः हल्दी महत्वपूर्ण एंजाइमों के उत्पादन को सक्रिय करती है जो यकृत में विषाक्त पदार्थों को नष्ट करते हैं।

 

हल्दी के दुष्प्रभाव

हालांकि हल्दी आशाजनक स्वास्थ्य लाभ प्रदान करती है, फिर भी अधिक मात्रा में हल्दी के उपयोग से जुड़े कुछ खतरे हैं जो ध्यान देने योग्य हैं।

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  1. पेट के लिए नुकसानदायक: यद्यपि हल्दी पाचन विकारों के इलाज के लिए एक आदर्श उपाय है, लेकिन अधिक मात्रा में इसका उपयोग करने से दुष्प्रभाव हो सकते हैं। हल्दी पेट में गैस्ट्रिक अम्ल के उत्पादन में वृद्धि करती है, जो कुछ लोगों के लिए फायदेमंद हो सकता है लेकिन कुछ पर इसके नकारात्मक प्रभाव हो सकते हैं।
  2. गुर्दे की पथरी: हल्दी में ऑक्सालेट की उपस्थिति के कारण कुछ लोगों में गुर्दे की पथरी हो सकती है।
  3. मिलावटी हल्दी पाउडरः सभी हल्दी पाउडर शुद्ध हल्दी की जड़ों से नहीं बने होते हैं। बाजार में मिलावटी हल्दी पाउडर उपलब्ध हैं जिनमें जहरीले तत्व होते हैं जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हैं।
  4. सिरदर्द और मितली: 450 मिलीग्राम से अधिक करक्यूमिन का उपयोग करने से कुछ लोगों में सिरदर्द और मितली हो सकती है।
  5. त्वचा पर लाल चकत्ते: उन लोगों में त्वचा के लाल चकत्ते के मामले सामने आए हैं जिन्होंने 8,000 मिलीग्राम या उससे अधिक मात्रा में करक्यूमिन का उपयोग किया है।
  6. रक्तस्राव की समस्याएं: हल्दी के उपयोग से खून का थक्का बनना बंद हो जाता है। संबंधित विकारों के साथ चोट लगने और खून बहने के खतरे की संभावना बढ़ जाती है।

 

हल्दी का प्रभाव

हल्दी स्वास्थ्य से संबंधित कई बीमारियों के लिए एक प्रभावी उपाय है। स्वास्थ्य समस्याओं के इलाज में हल्दी की प्रभावशीलता का आंकलन ऊपर वर्णित स्वास्थ्य लाभों के आधार पर किया जा सकता है। लेकिन अभी भी कुछ बीमारियां हैं जो इस मसाले के लाभों के दायरे से बाहर हैं। ये निम्नलिखित हैं-

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  • पेट के अल्सर
  • आंख की सूजन
  • अल्जाइमर रोग
  • कैंसर से संबंधित त्वचा पर घाव
  • बाईपास सर्जरी
  • मसूढ़े के रोग
  • सिरदर्द
  • दस्त/अतिसार
  • हेपेटाइटिस
  • मासिक धर्म संबंधी समस्याएं
  • पीलिया
  • जोड़ों का दर्द
  • क्षय रोग
  • रूमेटोइड गठिया आदि

हल्दी के उपयोग

हल्दी के अनगिनत उपयोग पहले ही देखे जा चुके हैं और भारतीय रसोइघरों में इनका प्रयोग किया जाता रहा है। इस मसाले के कई स्वास्थ्य लाभों को ध्यान में रखते हुए, इसका प्रयोग हर पकवान में किया जा सकता है। आप कढ़ी, गर्म दूध, सलाद, स्मूथी/स्मूदी, तले भुने पकवानों और अन्य जिसमें भी चाहें, में हल्दी मिला सकते हैं। हालांकि बाजार में हल्दी से बने पदार्थ मौजूद हैं लेकिन कच्ची हल्दी सबसे अधिक प्रभावी मानी जाती है।

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हल्दी की खुराक

हल्दी मुख्यतः मसाले के रूप में प्रयोग की जाती है लेकिन इसके प्रयोग के और भी तरीके हैं। आप इसे पाउडर, जड़ या सत (रस) के रूप में प्रयोग कर सकते हैं। उपयोग के तरीके के आधार पर इसकी मात्रा अलग-अलग है।

अगर इसकी जड़ का उपयोग करना हो तो प्रतिदिन 3 ग्राम से अधिक न करें।

अगर इसकी जड़ को सुखाकर पाउडर के रूप में उपयोग करना हो तो प्रतिदिन 3 ग्राम से अधिक न करें।

अगर हल्दी पाउडर का उपयोग करना हो तो हर बार अधिकतम 600 मिलीग्राम की मात्रा दिन में तीन बार उपयोग करें।

अगर इसके रस का उपयोग करना हो तो प्रतिदिन 90 बंदों से अधिक न करें।

अगर इसके घोल का उपयोग करना हो तो प्रतिदिन चार बार 40 बूंदों से अधिक न करें।

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इन मात्रा दिशानिर्देशों के साथ आप तय कर सकते हैं कि किसी भी रूप में हल्दी का उपयोग करते समय बहुत ही ध्यान दिए जाने की जरूरत है। सबसे अच्छी बात यह है कि आपकी स्वास्थ्य स्थिति के आधार पर इस मसाले और इसके हल्दी से बने पदार्थ की खुराक के बारे में अपने डॉक्टर से परामर्श लें।

 

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हल्दी: स्वास्थ्य लाभ, दुष्प्रभाव, प्रभावशीलता, उपयोग, और खुराक।
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बेशक रूप से हल्दी हर भारतीय रसोईघर में मसाले के डिब्बे का और हमारे जीवन का भी एक अनिवार्य हिस्सा है। यह लोगों के लिए कई स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं सुलझाने का एक बेहतर तरीका बन गई है।
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