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रत्न और उनका महत्व

November 6, 2016


नौरत्नः जैसा कि नाम से स्पष्ट है नौ रत्न। यदि आप भारत से हैं तो आपने “नौरत्न” शब्द भी जरूर सुना ही होगा। यह नौ बेशकीमती रत्न हैं जो नौ मुख्य ग्रहों को प्रसन्न करते हैं। ऐसा कहा जाता है कि यह नौ ग्रह हमारे जीवन या भाग्य पर बेहद गहरा प्रभाव रखते हैं। भारतीय ज्योतिष में 9 ग्रह प्रमुख हैं (सूर्य, चंद्र और राहु-केतु समेत)। ऐसा माना जाता है कि किसी भी व्यक्ति की जन्म पत्रिका में इन ग्रहों के स्थान और उनकी चाल से उनका जीवन प्रभावित होता है। इन ग्रहों के नकारात्मक असर को दूर करने और सकारात्मकता का संचार करने के लिए ज्योतिष अक्सर कोई न कोई रत्न या नग की अंगूठी या पेंडेंट पहनने की सलाह देते हैं। हम यहाँ आपके लिए एक मार्गदर्शिका दे रहे हैं, जो आपको इन रत्नों और उनके गुणों के बारे में जानकारी हासिल करने में मदद करेगी।

हीरा

किस ग्रह को प्रसन्न करता हैः वैसे, हीरा शुक्र ग्रह को प्रसन्न करने के लिए पहना जाता है, जो कि वृष और तुला राशि का स्वामी है। रंगः जब आप हीरा खरीद रहे हो तो तीन ‘सी’ को जरूर देखें- क्लेरिटी (स्पष्टता), कट (कटाव) और कलर (रंग)। गुणः हीरा सबसे बेशकीमती और सबसे प्रभावी रत्न हैं। यह पहनने वाले के जीवन में पैसा और समृद्धि, सफलता और आरामदेह सुख-सुविधाएं लाता है। ज्योतिषियों के मुताबिक यह डायबिटीज के साथ-साथ पाचन से जुड़े विकारों का भी उपचार करता है। यह किसी भी व्यक्ति को लंबी आयु, सफल विवाह और पेशेवर सफलता प्रदान करता है। किसी भी हीरे को धारण करने से पहले उसकी अनुकूलता की जांच बेहद जरूरी है।

पन्ना

किस ग्रह को प्रसन्न करता हैः हिंदू ज्योतिष में, पन्ने को बुध ग्रह से जोड़ा गया है, जो मिथुन और कन्या राशि का स्वामी है। रंगः हरे के शेड्स होते हैं- हल्का लिक्विड ग्रीन से लेकर डार्क और गहरा हरा तक। इस रत्न में पीले और नीले रंग के सेकंडरी शेड्स भी दिख सकते हैं। गुणः ऐसा कहा जाता है कि पन्ना पहनने वाले की बौद्धिक क्षमता बढ़ जाती है। यह रत्न न केवल आपकी बोलचाल के कौशल को बढ़ाता है, बल्कि एकाग्रता को भी कई गुना बेहतर बनाता है। आम तौर पर बहुत पुराने पाचन रोग को दूर करने के लिए इसे पहनने की सलाह दी जाती है। आम तौर पर क्रिएटिव इंडस्ट्री और खेल से जुड़े लोगों को पन्ना पहनने को कहा जाता है।

माणिक

किस ग्रह को प्रसन्न करता हैः ज्योतिषियों का मानना है कि माणिक का संबंध सूर्य ग्रह से है। यह सिंह राशि का स्वामी है। सूर्य हमारे सौर मंडल के मध्य में स्थित है। केंद्रबिंदु है। इस वजह से इसे हमारी प्रमुख और अध्यात्मिक शक्तियों का शासक कहा जाता है। रंगः माणिक आम तौर पर चमकदार लाल होता है। इसके स्रोत के आधार पर भी इसका रंग तय होता है। यह गुलाबी से लेकर गहरे स्कार्लेट शेड्स के साथ ही नारंगी रंग तक का हो सकता है। गुणः ऐसा समझा जाता है कि माणिक किसी भी व्यक्ति की ताकत को कई गुना बढ़ा देता है। यह दिल को बचाता है और अंदरूनी ताकत को बढ़ाता है। नेता, उद्यमी, किसी भी क्षेत्र के पुरोधा और जो अपनी फील्ड में नई ऊंचाइयों को छूना चाहते हैं, उन्हें अक्सर माणिक पहनने की सलाह दी जाती है।

नीलम

किस ग्रह को प्रसन्न करता हैः नीलम को आम तौर पर शनि ग्रह को प्रसन्न करने के लिए पहना जाता है। शनि ग्रह हिंदू ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक सबसे ताकतवर ग्रहों में से एक है। यह मकर और कुंभ राशि का स्वामी ग्रह है। रंगः नीलम में कई रंग मिल सकते हैं, जैसे- हल्के नीले से चमकदार और चटक नीले रंग तक। धूसर या काले रंग के रत्न सबसे कम मूल्यवान होते हैं। गुणः नीलम को सबसे ज्यादा प्रोटेक्टिव और तेजी से सक्रिय होने वाले रत्नों में गिना जाता है। ज्योतिषी भी तत्काल असर दिखाने के लिए इस रत्न को पहनने की सलाह देते हैं। अवसाद, आलस्य, बाधाओं को दूर करने के साथ ही बुरी ताकत और नजर से बचाने में इस रत्न को ताकतवर समझा जाता है। हालांकि, पहनने से पहले नीलम की अच्छे से जांच कर लेना बेहद जरूरी है।

पुखराज

किस ग्रह को प्रसन्न करता हैः वैदिक ज्योतिष के मुताबिक, पुखराज गुरु ग्रह से जुड़ा है, जो धनु और मीन राशि का स्वामी होने के साथ ही पीला नीलम भी कहलाता है। रंगः पुखराज हल्के मद्धिम पीले रंग का हो सकता है या चमकदार डैफोडिल या शहद के रंग का। गुणः पुखराज पहनने और गुरु ग्रह को खुश करने से किसी भी व्यक्ति के जीवन में सुख-समृद्धि के साथ भी पवित्रता भी आ जाती है। यह अच्छे भाग्य को लाता है। भाग्योदय कराता है। ऐसा समझा जाता है कि पुखराज पहनने वाले को प्रमोशन मिलता है और उसके स्तर में वृद्धि होती है। यह भी कहा जाता है कि थायरॉइड से जुड़े विकारों के साथ-साथ इनसोम्निया में भी यह कारगर साबित होता है। यह व्यक्ति को अध्यात्मिकता की ओर प्रेरित करता है।

मूंगा

किस ग्रह को प्रसन्न करता हैः मूंगा को आम तौर पर सबसे खतरनाक ग्रह मंगल से जोड़ा जाता है, जो मेष और वृश्चिक राशि का स्वामी है। रंगः चमकदार और चटक लाल रंग या ज्वाला-सा दहकता नारंगी मूंगा ज्योतिषियों की पहली पसंद है। काले धब्बों या अन्य निशान वाले मूंगे से बचने की सलाह दी जाती है। गुणः मूंगा साहस और निडर होने के साथ ही आत्मविश्वास का भाव भी जगाता है। यह “मांगलिक दोष” के नकारात्मक असर को दूर करता है तथा अनुकूल जीवनसाथी की तलाश की राह खोलता है। यह भी कहा जाता है कि मासिक धर्म से जुड़े विकारों में मूंगा कारगर साबित होता है। यह करियर और पेशेवर तरक्की में स्थायित्व लाता है। सैन्य अधिकारी, पुलिस अधिकारी और सुरक्षा अधिकारियों को अक्सर मूंगा पहनने की सलाह दी जाती है।

मोती

किस ग्रह को प्रसन्न करता हैः मोती को चंद्र ग्रह का पसंदीदा नग माना गया है। यह ग्रह कर्क राशि का स्वामी है। नग से भावनात्मक स्थायित्व और सृजनात्मकता आती है। रंगः मोती कई रंगों में आता है। दूधिया सफेद से लेकर नीला, गुलाबी और काला भी। हालांकि, ज्योतिषीय उद्देश्यों के लिए दूधिया सफेद मोती को प्राथमिकता दी जाती है। गुणः सृजनात्मक कला से जुड़े लोगों को मोती पहनने की सलाह दी जाती है। यह बेहद जरूरी समझी जाने वाली भावनात्मक स्थिरता लाने के साथ ही कई सारे मानसिक विकारों को भी नियंत्रित रखता है। यह तरल पदार्थों के असंतुलन और मूत्र-वाहिनी तंत्र से जुड़े विकारों के उपचार में भी मददगार है। यह सौजन्यता लाता है और नए दोस्त भी बनवाता है।

गोमेद

किस ग्रह को प्रसन्न करता हैः गोमेद को आम तौर पर राहु को प्रसन्न करने के लिए पहनने की सलाह दी जाती है। राहुल एक सर्प के मुंह वाला असुर है, जो केतु के साथ मिलकर ग्रहण लगाता है। रंगः गोमेद एक गहरा पीला, गहरा लाल, गहरा नारंगी और शहद के रंग से लेकर भूरा तक होता है। गुणः गोमेद एक बहुत ताकतवर रत्न है। यह रत्न नशे, खासकर मादक पदार्थों और शराब व जुआं खेलने की लत से दूर रखने में मदद करता है। इसके साथ ही सभी तरह के त्वचा रोगों और साइकोसिस के विभिन्न तरीकों से भी राहत दिलाता है। गोमेद आपकी अपने दुश्मन पर जीत का वादा करता है।

लहसुनिया

किस ग्रह को प्रसन्न करता हैः लहसुनिया रत्न को आम तौर पर केतु ग्रंथि को प्रसन्न करने के लिए पहनाया जाता है। केतु एक सर्प के शरीर वाला असुर है जो राहु के साथ मिलकर ग्रहण करता है। रंगः लहसुनिया या वैदुर्य रत्न दिखने में बिल्ली की आंख जैसा होता है। सफेद धूसर और हरे रंग के शेड्स इसमें नजर आते हैं। गुणः लहसुनिया पहनने वाले को यह रत्न कर्म से जुड़े नकारात्मक परिणामों से बचाता है। इसे पहनने वाला व्यक्ति मोक्ष की तलाश के लिए प्रेरित होता है। अध्यात्मिक मसलों में उसकी रुचि जागृत होती है। कालसर्प दोष जैसे नकारात्मक दोषों का असर यह रत्न कम करता है।

 

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