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भारत ने 500 और 1000 रुपए के करेंसी नोट बंद क्यों कर दिए

November 10, 2016


५०० और १००० के नोट बंद

५०० और १००० के नोट बंद

प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने “काले धन के खिलाफ सर्जिकल स्ट्राइक” करते हुए 8 नवंबर की रात को घोषणा की कि 500 और 1000 रुपए के नोट्स की कानूनी वैधता खत्म हो जाएगी। इस एकाएक और नाटकीय फैसले का कारण बेहद स्पष्ट है। नगदी में काले धन का संग्रहण अब अपना मूल्य गंवा देगा। यह कदम एकाएक क्यों? यह जरूरी था क्योंकि इससे काले धन को सोने, संपत्ति या अन्य चल-अचल संपत्ति में बदलने का लोगों को मौका ही नहीं मिला।

हकीकत यह है कि काले धन के अवैध संग्रह के साथ ही ड्रग्स की कमाई भी बड़े मूल्य वाले करेंसी नोट्स में ही रखी गई है। यह सोचते हैं तो लगता है कि सरकार का फैसला उत्साहवर्धक है। लेकिन, क्या यह फैसला जरूरी था और काफी सोच-विचार के बाद किया गया? आगे पढ़ते रहिए…

विवेक के साथ लिया गया फैसला

500 और 2000 रुपए के नए नोट्स पर रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन के हस्ताक्षर होंगे। 2015 की प्रिटिंग डेट होगी। इससे साफ है कि (500 और 1000 रुपए के) पुराने नोट्स को बंद करने की योजना काफी जल्दी बना ली थी और यह फैसला काफी सोच-विचार के बाद लिया गया है।

शुरुआत करते हैं, नरेंद्र मोदी सरकार की जन धन योजना से। इसके जरिए ज्यादातर लोगों को मुख्य धारा की बैंकिंग प्रणाली से जोड़ा गया। जून 2016 के मुताबिक, 220 मिलियन बैंक अकाउंट्स इस स्कीम के तहत खोले गए। हर भारतीय को बैंकिंग प्रणाली और वैधानिक वित्तीय संस्थानों से जोड़ने की दिशा में कोशिश की।

अपने बजट भाषण में, वित्त मंत्री जेटली ने बार-बार इस बात पर जोर दिया कि भारतीय अपने अकाउंट्स को साफ-सुथरा रखें। वह विदेशों में रखे काले धन को देश में लाएं। काले धन को सफेद करने का मौका भी दिया गया।

2015 में, नरेंद्र मोदी सरकार ने काले धन पर स्वैच्छिक घोषणा योजना शुरू की थी। काला धन (अघोषित विदेशी आय और संपत्ति) और करारोपण अधिनियम 2015 के तहत इसे लाया गया था। 4,147 करोड़ रुपए की विदेशी संपत्ति की घोषणा इस योजना के तहत की गई।

2016 में, सरकार ने एक बार इनकम डिक्लेरेशन स्कीम (आईडीएस) शुरू की। इसमें हर करदाता को रिटर्न फाइल करने और पहले की अघोषित आय पर टैक्स चुकाने का मौका दिया गया था।

भारत के लोगों को अपने वित्तीय लेन-देन और संपत्ति को साफ-सुथरा और वैध बनाने के पर्याप्त मौके और वक्त दिए जाने के बाद, सरकार ने आखिर में ज्यादा मूल्य के नोट बंद कर दिए। इन्हीं नोटों के जरिए काले धन का संग्रह हो रहा था। इस फैसले से जिन लोगों ने अपना काला धन बड़े नोट्स में रखा है, वह अपना मूल्य गंवा देगा।

लोगों को कुछ दिन के लिए असुविधा होगी, लेकिन वे ज्यादा प्रभावित नहीं होंगे। चूंकि सरकार ने 500 और 1000 रुपए के नोट्स को डिपॉजिट करने और कैश एक्सचेंज के लिए विंडो खोल दी हैं।

जाली मुद्रा

जाली मुद्रा से सरकार की लड़ाई नई नहीं है, बल्कि बहुत पुरानी है। जाली भारतीय मुद्रा नोट्स (एफआईसीएन) ने भारतीय अर्थव्यवस्था को बहुत नुकसान पहुंचाया है। विशेषज्ञों का कहना है कि पिछले एक दशक में देश की वित्तीय सेहत को काफी हद तक खामियाजा भुगतना पड़ा है। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) का कहना है कि एफआईसीएन का इस्तेमाल देश में आतंकी गतिविधियों को बढ़ावा देने में भी हो रहा है। हकीकत तो यह है कि 500 और 1000 रुपए के जाली नोट्स की बड़ी संख्या में जब्ती 2008 के मुंबई हमलों के बाद से लगातार हो रही थी। केंद्रीय फॉरेंसिक साइंस लैबोरेटरी (सीएफएसएल) के मुताबिक, मार्केट में चल रहे ज्यादातर एफआईसीएन उच्च गुणवत्ता वाले हैं। उनकी पहचान करना सामान्य परिस्थितियों में आसान नहीं है।

आरबीआई ने कहा कि 2015-16 में, 500 और 1000 रुपए के 6.5 लाख एफआईसीएन सर्कुलेशन में थे। बैंकों में पकड़ी गई जाली मुद्रा के आधार पर यह दावा किया गया है, जो हकीकत से काफी कम है। पुराने नोट्स को बंद करना और नए ज्यादा सुरक्षा वाले नोटों को जारी करना ही एकमात्र रास्ता रह गया था।

काले धन की गणना

काला धन वह धन है, जिसका कोई हिसाब नहीं है। सरकार ने जिस पर कोई टैक्स हासिल नहीं किया है। सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर बनाई गई विशेष जांच टीम (एसआईटी) ने देश में 14,958 करोड़ रुपए की बेहिसाब घरेलू संपत्ति का खुलासा किया था। इसके अलावा 4,479 करोड़ रुपए स्विस खातों में होने की बात भी कही थी।

इसका मतलब यह है कि इस राशि पर बनने वाला हजारों करोड़ रुपए का टैक्स सरकार को नहीं मिला। यह पैसा सरकार इंफ्रास्ट्रक्चर, सामाजिक सुरक्षा और कम आय वर्ग के लोगों को रियायत देने पर खर्च कर सकती थी। इतना ही नहीं राष्ट्र निर्माण की अन्य गतिविधियों में इनका इस्तेमाल संभव था। 500 और 1000 रुपए के नोट्स को बंद कर काले धन को सिस्टम से निकालने की सरकार की कोशिश काले धन और भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई में सबसे महत्वपूर्ण मील का पत्थर है।

समय भी सही है

500 और 1000 रुपए के नोट बंद करने का वक्त इससे बेहतर नहीं हो सकता था। फेस्टिव सीजन में रिटेल बिजनेस जोरों पर था। अक्टूबर के शुरुआती आकलनों के मुताबिक ऑनलाइन रिटेल कंपनियों फ्लिपकार्ट, अमेजन, मिंत्रा, स्नैपडील और शॉपक्लूज ने मिलकर 18,720 करोड़ रुपए का बिजनेस किया। ऑफलाइन रिटेल सेल्स इससे भी ज्यादा का रहा होगा। निश्चित तौर पर नवंबर के शुरुआती दिनों में ज्यादातर के पास अवैध पैसा रखा होगा। 8 नवंबर, 2016 को बड़े नोट बंद करने की घोषणा की गई, इससे बड़े पैमाने पर काला धन सिस्टम से बाहर जाने की उम्मीद की जा सकती है।

प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने यह फैसला सही वक्त पर लिया, इसे साबित करने के लिए 2017 के राज्य विधानसभा चुनाव काफी है। उत्तर प्रदेश, पंजाब और गुजरात में 2017 में विधानसभा चुनाव होने हैं। कुछ ही महीनों बाद इनकी गतिविधियां तेज हो जाएंगी। परंपरागत रूप से, भारत में होने वाले हर चुनाव- लोकसभा और राज्य विधानसभाओं- में चुनावी फंडिंग की विस्तृत रिपोर्ट्स नहीं होती। इससे कई करोड़ों रुपए के काले धन का इस्तेमाल चुनावों में होता है। 500 और 1000 रुपए के पुराने नोटों को बंद करने से कई पार्टियों को सीधे-सीधे खेलने में ही दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है। इससे निश्चित तौर पर चुनाव प्रक्रिया भी साफ होगी। नोट के बदले वोट खरीदने की कोशिश भी बीते जमाने की बात हो जाएगी। यह भारतीय राजनीति में बहुप्रतीक्षित सुधार था।

प्लास्टिक मनी को बढ़ावा

बड़े नोट्स को बंद करना, जो प्रवाहित मुद्राओं का करीब 86 प्रतिशत थे, भारत को कैशलेस इकोनॉमी बनाने की दिशा में एक कोशिश ही कही जाएगी। हालांकि, इस नतीजे को देखते हुए कदम नहीं उठाए गए हैं लेकिन यह बदलाव होना ही है। विकास के साथ, यह जरूरी है कि हम कार्ड्स, इलेक्ट्रॉनिक और पेपर मनी का इस्तेमाल वित्तीय लेन-देन में स्वीकार करें। इसे संभव बनाने के लिए भारत सरकार ने रूपे डेबिट कार्ड्स लॉन्च किए थे और 2014 में उन्हें जन धन योजना से भी जोड़ा था।

महत्वपूर्ण जानकारी का श्रोत

स्वच्छ गंगा परियोजना
स्वच्छ भारत अभियान
जन धन योजना
मेक इन इंडिया
मेरी सरकार
भारत सरकार
राष्ट्रीय गान
राष्ट्रीय गीत
भारतीय ध्वज
भारत के प्रधानमंत्री
भारत के राष्ट्रपति
भारत के कैबिनेट मंत्री की सूची 2016
भारत में मुख्यमंत्रियों की सूची
भारत के जिले
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