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7 कारण प्रेजिडेंट ट्रम्प भारत के लिए अच्छे क्यों हैं

November 10, 2016


डोनाल्ड ट्रम्प से हिलेरी क्लिंटन का मुकाबला हालिया वर्षों में हुए अमेरिका के राष्ट्रपति चुनावों में सबसे कड़े मुकाबलों में से एक था। ट्रम्प ने न केवल हिलेरी को हराकर धमाकेदार अंदाज में व्हाइट हाउस पर दावेदारी साबित की बल्कि रिपब्लिकंस को अगले चार साल तक सत्ता में ला दिया। पूरी दुनिया की ही तरह, भारत में हम भी अमेरिकी चुनावों पर करीबी नजर बनाए हुए थे। ट्रम्प के राष्ट्रपति बनने का हमारे देश के लिए क्या संदेश हैं, इसे इस तरह समझिए-
डोनाल्ड ट्रम्प ने चुनाव प्रचार के दौरान अपने एक भाषण में कहा था- “भारतीय और हिंदू समुदाय को व्हाइट हाउस में एक सच्चा दोस्त मिल जाएगा। ट्रम्प जैसा व्यक्ति जो लगातार स्पॉटलाइट में है, वह यदि इस तरह साफ-साफ शब्दों का इस्तेमाल करे तो इससे अच्छा क्या होगा! यह हमें, स्वीकारना होगा कि सभी भारतीय हिंदू नहीं हैं लेकिन जब बात भारत-अमेरिका नीति की आएगी, तो ऐसा लगता है कि हमें एक अच्छा दोस्त मिल गया है।
यदि ट्रम्प के चुनाव अभियान में किए वादे पर भरोसा किया जाए तो अमेरिका आतंकवाद और लश्कर-ए-तैयबा व आईएसआईएस जैसे आतंकी संगठनों के खिलाफ कड़े फैसले लेगा। पठानकोट और उड़ी हमलों के बाद भारत के एजेंडे से यह मेल खाता है।
ट्रम्प ने एक और वादा किया था, जो और भी ज्यादा प्रभावी है। उन्होंने कहा था कि वे रूस के साथ बेहतर संबंध बनाने की दिशा में काम करेंगे। यह अमेरिका की परंपरागत नीति से अलग होगा। यह भारत के लिए भी अच्छा है क्योंकि हम रूस को एक करीबी मित्र का दर्जा देते हैं।
ओवल ऑफिस और प्रशासन में एक दोस्ताना चेहरा होगा, जो वैश्विक आतंकवाद को रोकने के लिए प्रयत्नशील है। यह भारत की आतंकवाद के मुद्दे पर अपने पश्चिमी पड़ोसी से आयात होने वाले आतंकवाद से लड़ने की प्रार्थनाओं का जवाब होगा। ट्रम्प निश्चित तौर पर पाकिस्तान को दी जाने वाली आर्थिक मदद रोकेंगे और इससे आतंकी गतिविधियों के लिए वित्तीय मदद में कमी आएगी। 
वैश्विक फोरम पर चीन कई मोर्चों पर भारत का विरोध कर रहा है। ऐसे में इन बाधाओं के बावजूद ट्रम्प की मौजूदगी से भारत-अमेरिका के रिश्तों को मजबूती देने में कोई परेशानी नहीं आएगी। फिर बात चाहे यूएन सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता की हो या मसूद अजहर और उसके संगठन जैश-ए-मोहम्मद को यूएन की ओर से आतंकी संगठन घोषित करने का मुद्दा, अमेरिका का समर्थन स्वागत-योग्य होगा।  
भारतीय तेल कंपनियों को सबसे ज्यादा फायदा होने की उम्मीद है क्योंकि ट्रम्प ने अपने चुनावी प्रचार अभियान के दौरान वादा किया था कि वे अमेरिकी तेल सेक्टर को खोलने वाले हैं। ट्रम्प ने यह भी वादा किया था कि ऊर्जा के क्षेत्र में अमेरिका को आत्मनिर्भर बनाया जाएगा। यदि अमेरिका अंतरराष्ट्रीय मार्केट में तेल की कीमतों में स्थिरता लाता है तो ओएनजीसी के ग्लोबल ऑपरेशन को बढ़ाने में उसके ब्रांड ‘ओएनजीसी विदेश’ को एक अच्छा मौका मिल जाएगा।
ट्रम्प का एक और महत्वपूर्ण वादा यह था कि वे अमेरिका में मैन्यूफेक्चरिंग जॉब्स वापस लाएंगे। यह ऐसी नौकरियां हैं जो चीन जैसे देशों में चली गई है। ट्रम्प इसके साथ ही एशियाई देशों में आउटसोर्स होने वाले कामों में भी कमी लाने की कोशिश करेंगे, इसका भारत पर भी असर होगा। लेकिन विविधतापूर्ण कारोबारी रिश्ते होने की वजह से यह काफी कम रहेगा। इसका फायदा एशिया में चीन के मुकाबले आर्थिक और राजनीतिक प्रभुत्व बढ़ाने में भारत को मिलेगा।

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