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भारत ने एक अरब डॉलर वाली अंतरराष्ट्रीय राजमार्ग परियोजना को दी मंजूरी

November 9, 2016


जब से केंद्र में एनडीए सरकार काबिज हुई है, तब से ही ग्लोबल कम्युनिटी में भारत की स्थिति में सुधार लाने के लिए प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी प्रयासरत हैं। इतना ही नहीं, वे लगातार कोशिश कर रहे हैं कि पड़ोसी देशों, खासकर नेपाल, भूटान और बांग्लादेश के साथ भारत के रिश्तों को बेहतरी दे सके। इसका एक महत्वपूर्ण पहलू है- क्षेत्र में आपसी आर्थिक संबंधों और व्यापारिक सौदों की स्थिति में सुधार।

इस संबंध में भारत और उसके पड़ोसी देशों में पर्यटन और उसके विकास को भी महत्व मिल रहा है। यह अब केंद्रबिंदू हो गया है। लेकिन इन उच्च लक्ष्यों को हासिल करना आसान नहीं है। इसके लिए न केवल बुनियादी ढांचे को बेहतर बनाने की आवश्यकता है बल्कि आपसी सहयोग को बढ़ावा देना भी अहम है। इन देशों में सबसे समृद्ध होने के नाते भारत को खुद ही बुनियादी ढांचे को मजबूती देने पर विचार करना होगा। उसे जिम्मेदारी लेनी होगी। ताकि उसके पड़ोसियों के बीच व्यापार और पर्यटन के रिश्तों को सुधारा जा सके। खासकर बांग्लादेश, नेपाल और भूटान के साथ इसे अंजाम दिया जा सकता है।

एक अरब डॉलर का अंतरराष्ट्रीय राजमार्ग परियोजना

भारत का मुख्य उद्देश्य (दक्षिण एशियाई नीति के लिहाज से) नेपाल, भूटान और बांग्लादेश के साथ व्यापारिक और आर्थिक रिश्तों को सुधारना है। वह भी 60 प्रतिशत तक बढ़ाना है। इसे दिमाग में रखते हुए, भारत सरकार ने इस महत्वकांक्षी परियोजना को मंजूरी दी है। इसके तहत इन देशों को आपस में जोड़ने वाली सड़क को अंतरराष्ट्रीय राजमार्ग के तौर पर विकसित किया जाएगा। साथ ही मौजूदा सड़कों की मरम्मत और चौड़ीकरण का काम किया जाएगा। इस परियोजना का उद्देश्य मौजूदा 558 किलोमीटर के क्रॉस-नेशनल हाईवे की मरम्मत और अपग्रेड करना है। साथ ही नई सड़कों का निर्माण भी किया जाना है। इससे न केवल सीमाओं पर कार्गो के परिवहन आसान होगा बल्कि पर्यटन के लिए आवश्यक सुविधाएं भी जुट जाएंगी। उसे भी बूस्ट मिलेगा।

इस परियोजना को आर्थिक मामलों के विभाग से औपचारिक मंजूरी मिल चुकी है। यह परियोजना 1.04 अरब डॉलर की लागत से पूरी होगी। इसमें से आधी लागत की फंडिंग फिलीपींस स्थित एशियन डेवलपमेंट बैंक (एडीबी) से होगी। खबरों के मुताबिक, बातचीत हो रही है। यह भी संभव है कि एडीबी से इस परियोजना के लिए और पैसा मिल जाए। अधिकारियों को उम्मीद है कि यदि बातचीत सफल रही तो 70 करोड़ डॉलर तक की आर्थिक मदद मिल जाएगी। सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के मुताबिक, “इस परियोजना को दो साल में पूरा करने का लक्ष्य है। बांग्लादेश-बिहार-इंडिया-नेपाल (बीबीआईएन) रोड इनिशिएटिव के पीछे प्राथमिक सोच इस क्षेत्र के जमीनी संपर्क को सुधारने की थी।”

इस परियोजना में निम्न छोटी परियोजनाएं शामिल हैं:

परियोजना के तहत जिन मौजूदा कामों को मंजूरी मिली है, उनमें मणिपुर और पश्चिम बंगाल में व्यापक काम होना है। पांच अलग-अलग राजमार्गों की पहचान की गई है, जिन पर काम होना है। इन सड़कों के निर्माण और मरम्मत से क्षेत्र में कनेक्टिविटी को बढ़ाने में व्यापक सहायता मिलेगी।

पश्चिम बंगाल सरकार के लोक निर्माण विभाग के पास निम्न तीन काम रहेंगेः –

डायमंड हार्बर (कोलकाता के पास) से बांग्लादेश तक एक नया 123 किलोमीटर लंबा राजमार्ग बनाया जाएगा। इस नए राजमार्ग को बनाने पर 25 करोड़ डॉलर खर्च होने का अनुमान है।

सिलिगुड़ी-मिरिक-दार्जीलिंग राजमार्ग की पहले तो मरम्मत करनी होगी और फिर अपग्रेडेशन। इस पर 1.5 करोड़ डॉलर खर्च होना अनुमानित है। इसके जरिए 122 किलोमीटर लंबे पैच को अपग्रेड किया जाएगा।

इसके बाद 13 करोड़ डॉलर का फंड राष्ट्रीय राजमार्ग 35 के लिए मिलेगा, जो कोलकाता (पश्चिम बंगाल) को बाणगांव (बांग्लादेश) से जोड़ता है। यह राजमार्ग अपग्रेड होने के साथ ही चौड़ा भी होगा।

मणिपुर की ओर बढ़े तो, दो राजमार्ग राज्य में बनाए जाएंगे। इनमें शामिल है-

115 किलोमीटर लंबा राजमार्ग जो उखरूल को तोलोई और तादुबी से जोड़ेगा। इस पर 23 करोड़ डॉलर खर्च होने का अनुमान है।
कोहिमे को केडिमा क्रिंग और इम्फाल से जोड़ने वाले 138 किलोमीटर लंबे राष्ट्रीय राजमार्ग नंबर 38 को फोर लेन रोड बनाना है। इस पर 28 करोड़ डॉलर खर्च अनुमानित है।

नेशनल हाईवे इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कॉरपोरेशन ही इन सड़कों के निर्माण के लिए जवाबदेह होगा।

जल्द ही और निर्माण होगाः

क्षेत्र में कनेक्टिविटी को मजबूती देने वाली यह अंतरराष्ट्रीय राजमार्ग परियोजना इकलौती नहीं है जिस पर भारत सरकार काम कर रही है। इस परियोजना के अलावा, इम्फाल और मोरेह के बीच 110 किलोमीटर लंबी सड़क बनाने की भी योजना है। पश्चिम बंगाल के पानीटंकी को नेपाल के काकरभिट्टा से जोड़ने के लिए 600 मीटर का पुल भी बनाया जाएगा। इस पर जल्द ही काम शुरू होगा। यह सभी बीबीआईएन रोड परियोजना का हिस्सा होगा। इसकी लागत का कुछ हिस्सा एडीबी भी उठाएगा। जहां भारतीय अधिकारियों ने इन दो निर्माणों को मंजूरी दे दी है, नेपाल से अब तक मंजूरी नहीं आई है। एक बार सभी पक्षों से मंजूरियां आने के बाद निविदा प्रक्रिया शुरू होगी ताकि निर्माण को गति मिल सके।

मोटर व्हीकल्स एग्रीमेंट

पिछले साल जून 2015 में भूटान, बांग्लादेश, भारत और नेपाल (बीबीआईएन) ने एक ऐतिहासिक करार पर हस्ताक्षर किए थे। इसके जरिए इन देशों के कार्गो और लोगों के सीमा पार निर्बाध आने-जाने को लेकर प्रावधान किए गए थे। केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग और जहाजरानी मंत्री नितिन गडकरी ने खुद ही इस करार पर काम किया था। इसे लागू करने में भी अहम भूमिका निभाई। इस मोटर व्हीकल्स एग्रीमेंट के बारे में बात करते हुए गडकरी ने कहा- “यह करार चार दक्षिण एशियाई देशों – बांग्लादेश, भूटान, भारत और नेपाल – के उप-समूह के बीच हुआ है। इससे सामान और लोगों की सीमापार आवाजाही आसान होगी। इस क्षेत्र के आर्थिक विकास के लिए यह फायदेमंद साबित होगा।” इस अंतरराष्ट्रीय राजमार्ग परियोजना पर अमल मोटर व्हीकल्स एग्रीमेंट के तहत हमारी जिम्मेदारी को पूरा करेगी।

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